टिहरी। कोटेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के उन पवित्र तीर्थों में से एक है जहां मन और मस्तिष्क अद्भुत ऊर्जा से भर जाता है। उत्तरवाहिनी मां भागीरथी की आवाज से ऐसा लगता है कि मां गंगा स्वयं भगवान शंकर की स्तुति कर रही है। चारों दिशाएं पर्वतों से घिरी हुई हैं। इस स्थान की सुंदरता मन को मोह लेती है। सच्चे साधक व भक्त भक्तजनों के लिए यह स्थान कैलाश के समान पवित्र है। भक्त त्रिकाल दर्शनी त्रिलोक शिव वह प्राकृतिक रूपी मां जगदंबा की दिव्य ऊर्जा से जुड़ जाता है। भक्तजन जब शिव कुंड में स्नान करने के बाद मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हैं तो भगवान शंकर के दिव्य स्वरूप के दर्शन करके वह धन्य हो जाते हैं।
शिव के सबसे बड़े शिवलिंग जिस पर भगवान शंकर अपने पूरे परिवार सहित विराजमान हैं भक्तजन दर्शन पाकर असीम कृपा को प्राप्त करते हैं भगवान कोटेश्वर महादेव सर्व चेतना हैं, शंभू हैं। इस स्थान पर प्रतिफल जागृत अवस्था में विराजमान हैं। सच्चे व पवित्र मन से की गई मनोकामना यहां तुरंत पूर्ण होती है। यह कोटेश्वर महादेव मंदिर टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर ब्लॉक के पट्टी कुली में स्थित है। यह मंदिर अनंत देवों के देव महादेव भगवान शंकर के अत्यंत प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसमें प्राकृतिक शिवा भी शिव के साथ विराजमान है। स्कंद महापुराण के केदारखंड के 144 वह अध्याय में इस सिद्ध पीठ का वर्णन है।
उत्तरवाहिनी मां गंगा भागीरथी के पावन तट पर स्थित इस सिद्ध पीठ के बारे में प्राचीन काल से कथा प्रचलित है कि यहां करोड़ों ब्रह्मराक्षसों का उद्धार करने के लिए ब्रह्मा तप किया था, तब से यह स्थान और भी पुण्यशाली हो गया।
पतित पावनी उत्तरवाहिनी मां गंगा भागीरथी के मध्य में बसा सिद्धों की भूमि सिद्ध पीठ प्राचीन मंदिर श्री कोटेश्वर महादेव में जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से जो भी मनोकामना करते हैं भगवान शंकर उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं।
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