धर्मनिष्ठ के साथ कर्मनिष्ठ होना भी आवश्यकः स्वामी विष्णु विक्रम          

-गोस्वामी तुलसीदास जी की 527वीं जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

देहरादून। धर्मनिष्ठ वही हो सकता है जो कर्मनिष्ठ होगा। भगवत प्राप्ति हेतु भक्त को धर्मनिष्ठ व कर्मनिष्ठ दोनों बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य को बल प्राप्त होता है। उक्त विचार आज यहां श्री नरसिंह कृपा धाम एवं ब्राह्मण समाज उत्थान परिषद  के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गोस्वामी तुलसी दास जी की 527 वीं जयंती महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में अयोध्या से पधारे श्रीमज्जदगुरू रामानुचार्य स्वामी विष्णु विक्रम जी महाराज ने व्यक्त किए। महाराज जी कहा कि उदारता के प्रतीक संत तुलसी दास जी का संदेश है कि कर्म को जिम्मेदारी से करो। तुलसी जी राम चंद्र जी को साधारण मानव मानते थे। उनके चरित्र का श्री रामचरित्र मानस के माध्यम से बखान किया। रामचरित्र मानस ग्रंथ विश्व को एक धरोहर है। इसमें हर समस्या का समाधान है।
श्रीमद् जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के शिष्य एवं लक्ष्मण पीठाधीश्वर, स्वामी धीरेंद्र वशिष्ठ जी ने भयंकर गुलामी के दौर में तुलसी जी जन मंगल व कल्याण के जिए। उनका साहित्य जन मानस के स्वाभिमान का प्रतीक है। तुलसी न होते, तो देश में चोटी व बेटी न होती। आज देश में राम की उदारता व लक्ष्मण की आक्रामकता की आवश्यकता है। बांग्लादेश की वर्तमान घटना पर उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज को सबल होकर ही अपनी रक्षा कर सकता है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए टपकेश्वर महादेव के महंत कृष्णगिरी जी महाराज ने कहा कि श्री राम चरित मानस के वाचन से प्रतिदिन मनुष्य के भाव बदलते जाएंगे। तुलसी जी कहा है कि यदि मन में करुणा, प्यार, समर्पण होगा तभी प्रभु श्री राम की कृपा प्राप्त होगी। इनके अतिरिक्त स्वामी दामोदर श्री रामानुजदास, चित्रकूट , पुष्पक ज्योति, ललित नारायण मिश्रा, अनुपम द्विवेदी आदि ने संत तुलसी दास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान नरसिंह जी, भगवान परशुराम जी, संत तुलसी दास की चित्र के समक्ष दीपार्चन एवं स्वस्तिवाचन से हुई। कार्यक्रम के अंत में नगर के सुविख्यात कवि श्रीकांत जी, हलधर, के.डी.शर्मा, अम्बर खरबंदा, नीरज नैथानी, महिमा श्री आदि ने तुलसी पर अपनी रचनाओं से श्रोताओं की वाहवाही लूटी। कवि सम्मेलन ने कार्यक्रम में चार चांद लगाए। कार्यक्रम का सफल संचालन परिषद के महामंत्री उमानरेश तिवारी ने किया। समारोह के संयोजक नरसिंह कृपा धाम के पीठाधीश्वर आचार्य शशिकांत दूबे ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर नगर के अधिकांश ब्राह्मण संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ अन्य समुदाय के गणमान्य जन उपस्थित थे। परिषद के अध्यक्ष पंडित सुभाष चंद्र जोशी जी ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर निवर्तमान महापौर, सुनील उनियाल गामा, एस पी पाठक, एस एन उपाध्याय, डॉ. वी डी शर्मा, प्रवक्ता, रामजी दूबे, प्रमोद शुक्ला  राकेश पंडित, पार्षद आदि की उपस्थित मुख्य रही।

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