भारत ने प्रवासी पक्षियों के आवासों के प्रभावी प्रबंधन के बताए उपाय

नई दिल्ली। भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे (सीएएफ) से संबंधित 29 अन्य देशों के साथ एक बैठक में कहा कि समन्वित सूचना साझा करने से प्रवासी पक्षियों के आवासों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के लिए सीएएफ से संबंधित 30 देशों की दो दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हुई।
बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जोर दिया कि प्रवासी पक्षी उस पारिस्थितिकीय तंत्र में एक आवश्यक और अनिवार्य भूमिका निभाते हैं जिसमें वे रहते हैं और यात्रा करते हैं।उन्होंने कहा कि दुनिया भर में पक्षियों की 11,000 प्रजातियों में पांच में से करीब एक प्रजाति एक से दूसरी जगह प्रवास करती है। उनमें से कुछ बहुत लंबी दूरी तय करती हैं तथा प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए देशों और राष्ट्रीय सीमाओं के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है।
उधर, बिहार के भागलपुर में डाल्फिन अभ्यारण्य क्षेत्र में डाल्फिनों की अठखेलियां और चिडिय़ों के कलरव को नजदीक से देखने की योजना को जमीन पर उतारने की एक बार फिर कवायद शुरू हो रही है। अब नवगछिया के जगतपुर झील व गोपालपुर प्रखंड के गंगा प्रसाद झील को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू हो गए हैं।
खास तौर से जगतपुर झील के पास इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पीपी मोड में इको विलेज विकसित किए जाने की योजना बनाई जा रही है। यहां इको फ्रेंडली टेंट भी लगाए जाएंगे। हाल में ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने भी उक्त बातों का जिक्र किया था। दरअसल, बांका के ओढऩी डेम को पर्यटन स्थल बनाए जाने के बाद अब भागलपुर में इको टूरिज्म के क्षेत्र में विकसित करने के लिए कवायद शुरू हो गई है। हालांकि, सरकार ने पहले ही कहलगांव से सुल्तानगंज के बीच डाल्फिन अभ्यारण्य घोषित कर दिया है। कई वर्ष पहले कहलगांव से सुल्तानगंज के बीच बोट चलाने की योजना बनी थी, लेकिन योजना कागज से धरातल पर नहीं उतरी। अबकी वन विभाग जगतपुर झील पर फोकस किए हुए हैं। झील को विकसित करने में कुछ बाधा सामाने आ रही है।