राष्ट्रीय थर्मल इंजीनियर दिवस पर टीएचडीसीआईएल के 1320 मेगावाट के खुर्जा एसटीपीपी के स्टेशन ट्रांसफार्मर # 1 की ऐतिहासिक चार्जिंग की

 

ऋषिकेश: टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  आर.के. विश्नोई ने बताया कि 24 जुलाई को 1320 मे.वा. के खुर्जा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट, बुलंदशहर, उत्‍तर प्रदेश के “स्टेशन ट्रांसफार्मर की सफलतापूर्वक चार्जिंग” की गई, उन्‍होंने कहा कि यह उपलब्धि टीएचडीसीआईएल के लिए एक ऐतिहासिक है, जो परियोजना को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
श्री विश्नोई ने इस बात पर जोर दिया कि यह चार्जिंग समग्र परियोजना कमीशनिंग के लिए विभिन्न मुख्य और सहायक उपकरणों को चालू करने के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने आगे बताया कि स्टेशन ट्रांसफार्मर#1, 400 केवी पावर ग्रिड और सहायक विद्युत आपूर्ति आवश्यकता के मध्‍य एक महत्वपूर्ण कड़ी है, यह 120 एमवीए क्षमता थ्री फेज ट्रांसफार्मर है। यह “ऑन लोड टैप चेंजर” के प्रावधान के साथ 400 केवी वोल्टेज को 11 केवी स्तर तक कम कर रहा है। साथ ही श्री विश्नोई ने बताया कि अत्याधुनिक “स्टेशन ट्रांसफार्मर” की आपूर्ति मैसर्स बीएचईएल-भोपाल यूनिट द्वारा की गई है।

इस अवसर पर श्री विश्नोई ने कहा कि यह उपलब्धि एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी, जो परियोजना को तेजी से पूरा करने के लिए आवश्यक गति को ऊर्जा प्रदान करेगी। इस चार्जिंग ने संयंत्र की अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियों को और अधिक शीघ्र चालू करने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह परियोजना के पूर्ण होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और फ़रवरी 24 तक सीओडी प्राप्त करने के लिए आगे की प्रगति और सफलता के लिए मार्ग प्रशस्‍त करता है। श्री विश्नोई ने पूरी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की टीम को बधाई दी कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि राष्ट्रीय थर्मल इंजीनियर दिवस के अवसर पर हुई है। यह ऐतिहासिक कार्य श्री कुमार शरद, कार्यपालक निदेशक(परियोजना-केएसटीपीपी) एवं श्री आर.एम. दुबे, महाप्रबंधक (विद्युत) तथा टीएचडीसीआईएल, एनटीपीसी और बीएचईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्‍थापित क्षमता के साथ देश में प्रमुख विद्युत उत्‍पादक है, जिसमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट और द्वारका में 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं, उत्‍तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना और केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को इसका श्रेय जाता

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