देहरादून। नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंटस राइट्स (NAPSR) ने उत्तरांचल प्रेस क्लब मे पत्रकार वार्ता मे बताया कि निजी स्कूलों की मनमानियों की कई बार शिक्षा विभाग ,शिक्षा सचिव ,राज्य बाल आयोग व जिलाधिकारी से शिकायत की गई किन्तु किसी विभाग की ओर से भी आज तक किसी भी स्कूल पर हाईकोर्ट व शासनादेशों की अवहेलना करने पर कार्यवाही नही की गयी जिसके कारण निजी स्कूलों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि वो अभिभावकों का शोषण करने पर आतुर हो गए । आरिफ खान ने कहा कि यदि नए सत्र से पहले सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानियों पर अंकुश नही लगाया और अभिभावक चाहेंगे तो सरकार की दमनकारी शिक्षा नीतियों और शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदेश भर मे आक्रोश अभियान चलाया जाएगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी । निजी स्कूलों की मनमानियों और शिक्षा विभाग की अनदेखी को लेकर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया ।
पत्रकारों से रूबरू होते हुई एनएपीएसआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि उत्तराखंड शासनादेश संख्या 28/XXIV-B-5/05(01)2021 के आदेशानुसार सभी छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के लिए निजी स्कूलों को छूट दी गयी है । जिस पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंस्ट्स राइट्स (NAPSR) कहा कि सिर्फ 15%- 20% छात्र ही अभी स्कूल जा रहे हैं और सरकार ने सभी छात्रों से फीस लेने की अनुमति निजी स्कूलों को दे दी है ऐसे मे जो छात्र विभिन्न कारणों के कारण स्कूल जाकर शिक्षा नही भी ले रहे हैं स्कूलों द्वारा उन पर भी फीस को लेकर दबाव बनाया जाएगा जो कि न्यायोचित नही है । कोरोना काल मे राज्य सरकार एवं उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की अनुमति प्रदान करी है किंतु सरकार व उन स्कूलों को मान्यता देने वाले सम्बंधित बोर्ड द्वारा ट्यूशन फीस परिभाषित नही किये जाने से निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से अपनी सम्पूर्ण मासिक फीस को ही ट्यूशन फीस बताकर मनमानी फीस वसूली की जा रही है और साथ ही कई स्कूलों ने फीस व्रद्धि भी करी है जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने फीस व्रद्धि करने और ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेने पर प्रतिबंध लगाया है किन्तु स्कूलों द्वारा मनमानी फीस अभिभावकों से वसूल कर उनका आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं और जो बच्चे स्कूल नही भी गए हैं उनसे भी पूर्ण फीस वसूली की जा रही है तथा नए सत्र मे होने वाले एडमिशन से भी तीन माह की फीस व अन्य मदों मे शुल्क जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और जो निजी स्कूलों द्वारा ये कहा जा रहा है और जो अभिभावक फीस देने मे सक्षम नही हैं उनके बच्चों को या तो परीक्षा मे बैठने ही नही दिया गया और यदि किसी स्कूल ने परीक्षा दिलवा भी दी तो फीस जमा न होने के कारण उन छात्र छात्राओं के परीक्षाफल रोक दिए गए और कुछ स्कूलों ने तो बच्चों को फीस जमा न होने के कारण स्कूल के गेट से ही बिना परीक्षा दिए वापस लौटा दिया गया । जैसा कि ज्ञात हो कॉंग्रेस सरकार से लेकर भाजपा सरकार के समय तक सभी ने अभिभावकों को नियामक आयोग और फीस एक्ट के नाम पर सिर्फ छलने का काम किया है और यह भी संज्ञान रहे कि जिस सरकार ने भी अभिभावकों को छलने का कार्य किया है उसे अपनी सत्ता से पड़ा है । और यदि इस साल के अंदर नियामक आयोग और फीस एक्ट नही बनाया जाता तो इसका खामियाजा भी सरकार को ही भुगतना पड़ सकता है ।और यदि हाई कोर्ट की अवहेलना पर अंकुश न लगाने वाले शिक्षा विभाग यदि अब भी कोई निजी स्कूलों की मनमानियों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नही करता है और सरकार द्वारा शिक्षा विभाग के खिलाफ कोई ठोस कदम नही उठाया जाता है तो एसोसिएशन शिक्षा विभाग मे ताला बंदी को बाध्य होगी । वहीं स्कूलों का कहना है कि वह अपने स्तर से कमेटी बनाकर जांच करेंगे कि अभिभावक वाके हि मे पीड़ित हैं या नही। इस पर आपत्ति जताते हुए आरिफ खान ने कहा कि यदि इस प्रकार की कोई जांच कमेटी बनानी है तो उसका अधिकार सरकार को है सरकार शिक्षा विभाग या अन्य किसी एजेंसी को यह जांच सुनिश्चित करे क्योंकि यदि स्कूल द्वारा बनाई गई जांच कमेटी जांच करेगी तो निश्चित तौर पर जांच प्रभावित होगी और अधिकांश जांच मे अभिभावक के फर्जी होने की पुष्टि होगी । पत्रकार वार्ता के माध्यम से एसोसिएशन ने यह भी मांग उठाई की राज्य सरकार सभी स्कूलों के सम्बंधित बोर्ड को ट्यूशन फीस परिभाषित करने के निर्देश पारित कर अभिभावकों को मानसिक और शारीरिक शोषण से बचाने की कृपा करें ताकि उत्तराखंड के अभिभावकों का शारीरिक और मानसिक शोषण होने से बच सके । पत्रकार वार्ता मे राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेश राघव, राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय सचिव सोमपाल सिंह,प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट गीता शर्मा,प्रदेश उपाध्य दीपक मलिक, अध्यक्ष नवदीप गर्ग, महानगर उपाध्यक्ष गुरुजेंद्र सिंह, महानगर सचिव स्वाति, महानगर सचिव सुमित पुंडीर, दीप चन्द वर्मा, किरन नेगी, इत्यादि उपस्थित रहे ।*