-प्रदेश के कर्मचारी वेतन विसंगति, एसीपी आदि अपनी मांगों को लेकर होते रहे हैं आंदोलित
-विधायकों का वेतन-भत्ते व पेंशन क्यों नहीं बंद कर देती सरकार
-40-50 फ़ीसदी विधायक निधि का भी हो रहा दुरुपयोग
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार चाहे किसी की भी रही हो, हमेशा बजट का रोना-रोकर कर्मचारी हितों को पर कुठाराघात किया जाता रहा है जबकि, इसके विपरीत विधायकों के लिए रातों-रात पेंशन, वेतन, भत्तों में वृद्धि कर दी जाती है तथा विधायक निधि की राशि भी बढ़ा दी जाती रही है। सर्वविदित है कि जब विधायक सरकारी कर्मचारी नहीं हैं तो फिर किस बात की पेंशन व वेतन-भत्ते ! जनता जानती है कि विधायक निधि का 40-50 फ़ीसदी कमीशन खोरी व नेताओं की भेंट चढ़ जाता है। सरकारों द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया अपनी वाह-वाही के झूठे विज्ञापनों पर खर्च किया जाता रहा है।
नेगी ने कहा कि सरकारों द्वारा कभी भी गंभीरता से राजस्व बढ़ाने की दिशा में कार्य नहीं किया गया, जिस कारण ये सारी विसंगतियां पैदा हुई। नेगी ने कहा कि प्रदेश भर में इन नेताओं का अनुसरण कर ही कर्मचारी अपनी पेंशन व वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की मांग करते हैं, जोकि एक तरह से जायज है द्य दुर्भाग्य की बात है कि कर्मचारी 30-40 वर्ष नौकरी करने के उपरांत भी पेंशन का हकदार नहीं होता, वहीं दूसरी ओर विधायक शपथ लेते ही अथवा मृत्यु होते ही ताउम्र पेंशन/ पारिवारिक पेंशन का हकदार हो जाता है द्य सरकार की उदासीनता व कर्मचारियों की हड़ताल से विकास कार्य प्रभावित होने के साथ-साथ आमजन को भी परेशानी उठानी पड़ती है। नेगी ने कहा कि यह अलग बात है कि वर्तमान में सरकार पर लगभग 60-65 हजार करोड़ का कर्ज सर पर है तथा प्रतिवर्ष लगभग 2100 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के वेतन- भत्तों,पेंशन पर खर्च किया जाता है द्य वहीं अगर बात की जाए तो सरकार पेट्रोल-डीजल के नाम पर जनता से भारी राजस्व वसूल रही है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि राजस्व बढ़ाने की दिशा में गंभीरता से काम करे, जिससे ये तमाम वेतन विसंगतियां दूर हो सकें। पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व सुशील भारद्वाज उपस्थित रहे।