पारिस्थितिकी और जैव विविधता पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के लिए वन नियम, पारिस्थितिकी और जैव विविधता विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के लिए वन नियम, पारिस्थितिकी और जैव विविधता से संबंधित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.), देहरादून में शुरू हुआ। एसईसीएल कोल इण्डिया लिमिटेड, कोयला मन्त्रालय, भारत सरकार की सहायक कंपनी है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग, विस्तार निदेशालय, भा.वा.अ.शि.प. द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कंचन देवी, भा.व.से., महानिदेशक भा.वा.अ.शि.प. द्वारा किया गया। उक्त मौके परडा0 सुधीर कुमार, उपमहानिदेशक (विस्तार), भा.वा.अ.शि.प. के सहायक महानिदेशक गण, वैज्ञानिक व अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।महानिदेशक भा.वा.अ.शि.प. ने अपने उद्घाटन भाषण में वैज्ञानिक पद्धतियों का अनुशरण करते हुए कोयला खदान भूमि के पुनसर््थापन के साथ सम्यक व संवहनीय पर्यावरण प्रबंधन पर जोर देने की बात कही। डा0 सुधीर कुमार, उपमहानिदेशक (विस्तार) ने वानिकी से संबंधित पारिस्थितिकी और जैव विविधता के महत्व तथा खनन भूमि पुनर्स्थापन में वन व उससे जुड़े हुए विभिन्न वानस्पतिक एवं जन्तुओं के महत्व तथा उनके उचित रख-रखाव की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डा0 ए0 एन0 सिंह, सहायक महानिदेशक (प.प्र.), भा.वा.अ.शि.प. व कोर्स कोआर्डिनेटर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा व प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न विषयों पर दिये जाने वाले व्याख्यान के बारे में संक्षेप में जानकारी दी। सत्र के अन्त में अज़िन शेखर, वैज्ञानिक, पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग, भा.वा.अ.शि.प. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
दिनांक 01-04 अक्टूबर, 2024 तक के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारावन नियमों, पारिस्थितिकी और जैव विविधता, कोयला खनित क्षेत्रों के लिए नर्सरी और वृक्षारोपण तकनीक, कोयला खनन वाले क्षेत्रों की पारिस्थितिकी बहाली जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान होंगे। साथ ही खनन क्षेत्रों के पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन, कार्बन कैप्चर और कार्बन बाजार व भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ किए गए ग्रीनक्रेडिटकार्यक्रम तथा भूदृश्य मानचित्रण में जीआईएस उपकरणों के अनुप्रयोग संबंधित विषयों पर भी व्याख्यान दिये जाऐंगे। तकनीकी सत्रों के अलावा, प्रशिक्षु अधिकारियों का खनन के पुनर्वास स्थलों, जल व मृदा संरक्षण संबंधित उपचारित स्थलों, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के संग्रहालय, बॉटनिकल गार्डन, सैन्ट्रल नर्सरी आदि से संबंधित प्रयोगशाला, कार्यालय व अन्य सुविधाओं का प्रदर्शन दौरा भी शामिल है।
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