ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि व रोजगार पर फोकस  

केंद्र सरकार के बजट में प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं कृषि को समर्पित है। बजट में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौती के मद्देनजर विशेष किस्मों के विकास के लिए व्यापक अनुसंधान के जरिये खेती-किसानी के कायाकल्प की योजना बनाई है। इस दिशा में करीब 109 उच्च उत्पादकता वाली किस्में न केवल खाद्य सुरक्षा के लिए कवच की भूमिका निभाएंगी, बल्कि इनसे किसानों की आय भी सुधरेगी। प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा और बायो-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना से भी कृषि को बड़ा संबल मिलेगा। दलहन एवं तिलहन को प्रोत्साहन से देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। उपभोग केंद्रों के निकट बड़े वेजिटेबल क्लस्टर और कृषि में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की पहल से आपूर्ति सुधरने के साथ ही बाजारों तक किसानों की पहुंच सुगम होगी। दूसरी प्राथमिकता कौशल विकास एवं रोजगार से जुड़ी है। इसके अंतर्गत विशेष पैकेज में दो लाख करोड़ रुपये का प्रविधान है, जिससे 4.1 करोड़ युवा लाभान्वित होंगे। पहली बार नौकरी में आए कर्मियों को 15,000 रुपये तक का एक महीने का पारिश्रमिक दिया जाएगा, जिससे 2.1 करोड़ युवाओं को लाभ मिलेगा। विनिर्माण में रोजगार सृजन को प्रोत्साहन से 30 लाख नए कर्मियों को फायदा पहुंचेगा। वहीं, अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती पर नियोक्ताओं को 3,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे, जिसके माध्यम से 50 लाख नई भर्तियों की योजना है। महिलाओं की रोजगार में भागीदारी बढ़ाने के लिए कामकाजी महिलाओं के लिए हास्टल से लेकर अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। कौशल विकास के लिए 1,000 आइटीआइ को उन्नत करना, 20 लाख युवाओं का केंद्रीय योजनाओं के जरिये कौशल विकास और आदर्श कौशल ऋण योजना को नए सिरे से तैयार किया गया है।
शिक्षा ऋण में छूट के साथ ही उसे और सुगम बनाया जाएगा। शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप दिलाई जाएगी। इससे रोजगार संकट के समाधान के साथ ही हुए उद्योगों की अपेक्षाएं भी पूरी होंगी। समावेशी मानव संसाधन विकास एवं सामाजिक न्याय भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए पीएम विश्वकर्मा, पीएम स्वनिधि और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जरिये दस्तकारों, स्वयं सहायता समूहों और स्ट्रीट वेंडर्स की मदद दी जाएगी। पूर्वोदय योजना के तहत बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा और आंध्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं मानव संसाधन विकास के जरिये वृद्धि को नए पंख लगाए जाएंगे। एमएसएमई के लिए नई क्रेडिट गारंटी स्कीम मशीनरी एवं उपकरण खरीदारी में मददगार होगी। उनकी संभावनाओं का आकलन करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को खास जिम्मा सौंपा गया है। एमएसएमई क्लस्टर्स के निकट सिडबी की शाखाओं के विस्तार से वित्त तक उनकी पहुंच भी बेहतर होगी। ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब भी स्थापित होंगे। दिग्गज कंपनियों में इंटर्नशिप और विशेष औद्योगिक पार्कों की स्थापना से निवेश को लुभाने एवं रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। शहरी विकास को प्राथमिकता में रखते हुए सरकार ने 30 लाख से अधिक की आबादी वाले कुछ बड़े शहरों को चिह्नित किया है। लोगों की आवास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति की दिशा में करीब 10 लाख करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया गया है। घर खरीदने पर ब्याज में छूट की सुविधा भी जारी रहेगी। पीपीपी माडल के जरिये भी शहरी कामगारों के लिए आवास तैयार करने की योजना है। जल आपूर्ति, स्वच्छता और स्ट्रीट मार्केट से जुड़ी योजनाओं के माध्यम से शहरों में रहने के लिए अनुकूल परिवेश एवं रोजगार सृजन के प्रयास हुए हैं। सतत वृद्धि के लिए ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता के तहत मुफ्त बिजली के लिए पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से लोगों को छतों पर सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहन की पेशकश की गई है। स्माल मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर के माध्यम से ऊर्जा संसाधनों का विविधीकरण किया जाएगा। एडवांस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट्स और ऐसी कुछ अन्य पहल के जरिये ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया गया है। पारंपरिक छोटे उद्यमों में इन्वेस्टमेंट-ग्रेड एनर्जी आडिट से भी स्वच्छ ऊर्जा के उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर भी सरकार की वरीयता सूची में है। सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान करने के साथ ही राज्य सरकारों एवं निजी क्षेत्र को अतिरिक्त सहायता के संकेत दिए हैं। इस मोर्चे पर सड़क निर्माण, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन आदि से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। पर्यटन को भी प्राथमिकता देते हुए सैलानियों को लुभाने एवं रोजगार बढ़ाने पर जोर दिया गया है। तकनीक के महत्व को समझते हुए शोध एवं विकास की दिशा में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड के विस्तार की योजना है। अंतरिक्ष से जुड़ी आर्थिक संभावनाओं को भुनाने के लिए 1,000 करोड़ का विशेष कोष स्थापित किया जाना है। भूमि से लेकर श्रम सुधारों के मुद्दे पर भी आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं, जो बेहद आश्वस्तकारी कदम है, क्योंकि लंबे समय से ऐसे सुधारों की प्रतीक्षा हो रही है। इसी कड़ी में ईज आफ डूइंग बिजनेस, डाटा गवर्नेंस और टेक्नोलाजी अडाप्शन से भी आर्थिक सक्षमता बढ़ने के भरे-पूरे आसार हैं। कुल मिलाकर, कौशल विकास एवं रोजगार में लक्षित निवेश के माध्यम से बजट में सतत एवं समावेशी आर्थिक वृद्धि का खाका खींचा गया है। इंटर्नशिप और कौशल विकास के अलावा सरकार पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को पहली सैलरी भी तीन किश्तों में देगी। इसकी एक सीमा 15 हजार रुपये की होगी। सरकार का मानना है कि इस योजना का फायदा दो करोड़ 10 लाख युवाओं को मिलेगा। उच्च शिक्षा के लिए दस लाख रुपये तक का कर्ज लेने वाले उन छात्रों को भी सरकारी मदद दी जाएगी, जिन्हें कोई सरकारी फायदा नहीं मिल रहा है। इसके तहत हर साल एक लाख छात्रों को फायदा देने की कोशिश का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र की ओर से हर नियोक्ता को हर अतिरिक्त कर्मचारी के पीएफ में योगदान के लिए दो साल तक प्रति माह 3000 रुपये तक की मदद देने का एलान मामूली नहीं कहा जाएगा। साफ है कि सरकार बेरोजगारी को लेकर गंभीर है और विपक्षी सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रही है। बजट इस दिशा में एक पहल है। संभव है ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। आजादी के बाद से अब तक हर चुनाव में गांवों का विकास और किसानों की बेहतरी राजनीतिक मुद्दा रहा है। वोट बैंक की राजनीति में किसान बड़े आधार रहे हैं। शायद यही वजह रही कि किसान संगठनों ने बीते चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के लिए पिच तैयार करने की कोशिश की। इसका पंजाब और हरियाणा में असर भी दिखा। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन के बाद से ही भाजपा के लिए खेती-किसानी चिंता का विषय रही है। इस बार किसानों का बजट पिछली बार की तुलना में 27 हजार करोड़ बढ़ाकर एक लाख 52 हजार करोड़ कर दिया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और देश के चार सौ जिलों के छह करोड़ किसानों की जमीनों का रिकार्ड तैयार करने का फैसला ऐसा है, जिसे अगर ईमानदारी से लागू कर दिया गया तो किसानों की स्थिति बदलने में बड़ी मदद मिलेगी। गांवों की बड़ी समस्या जमीनी विवाद हैं। जमीनों का रिकार्ड तैयार होने के बाद ये विवाद भी थमेंगे। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिला तो रासायनिक खादों और बीजों पर होने वाला खर्च कम होगा, सिंचाई खर्च भी बचेगा।

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