धाकड़ धामी के फैसले से बंधी उम्मीदें

पैठाणी, देव कृष्ण थपलियाल। चर्चित यूकेएसएसएससी विवाद में राज्य के तीन पूर्व वरिष्ठ अफसरों को जेल भेजकर युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नें एक नजीर पेश की है। जिसकी बेलाग तारीफ की जानीं चाहिए, इस फैसले नें जहॉ भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों में खौफ पैदा किया, वही आम मेहनतकश युवाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ है। पिछले कई दिनों से राज्य में नौकरियों के नाम पर जिस प्रकार के भ्रष्टाचार का जलजला सडकों में बिखरा दिखाई दिया, उससे आम नौजवान का हताश-परेशान होंना स्वाभाविक है, पहाडी राज्य का प्रत्येक अभिवाहक इस कृत्य से इतना आहत हुआ कि वह अपनें आप को बेसहारा और ठगा हुआ महसूस करनें लगा है ? राज्य निर्माण की अवधारणा के पीछे का संघर्ष भी यही था कि ’हमारे बच्चा’ें को पहाड में ही नौकरी मिले और दर-दर ठोकरें खानें से बचे ?़ लेकिन राज्य में नौकरियों के नाम जिस लूट-खसोट का धंधा सरेआम दिखा उससे आम पहाड नौजवान का मायूस होंना स्वाभाविक है ? विधान सभा में की गईं अवैध भर्तियॉ नें निर्लज्जा और बेशमी की हदें ही पार कर दीं ? जब नेताजी कहनें लगे कि उनका ’’अपनों’’ लगानें का सवैंधानिक अधिकार है ? श्री गोविंद सिंह कंुजवाल सरीखे नेता अगर इस तरह की दलील दे रहें हों तो तकलीफें और बढ जातीं हैं, मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल भी इस तरह का तर्क देते दिखे ?
यूकेएसएसएससी के परत-दर-परत खुलती काली करतूतों की कहानियों नें राज्य को ही शर्मसार कर दिया है ? विवादित कंपनी को ही बार-बार काम देंना से, पहले मुख्यमंत्री धामीं नें संतोष बडोंनी, डांगी, आयोग के गोपन विभाग के तीन अनुभाग अधिकारियों के खिलाफ विजिलैंस जॉच के आदेश दे दिये थे ? प्राराम्भिक जॉच से ही पता चला कि इन सभी नें 88 परिक्षाऐं सम्पन्न करवाईं थीं, आयोग के अधिकारियों पर लापरवाही, धोखाधडी व पद का दूरूपयोग सहित सभी आरोप पाये गये हैं, आयोग अध्यक्ष व पूर्व वरिष्ठ आई0ए0एस अधिकारी एस0राजू भी जॉच के दायरे में हैं। एस0एस0पी विजिलैंस धीरेंद्र गुंज्याल नें सरकार से इसकी अनुमति मॉगी है ? विजिलैंस अधिकारियों के अनुसार आयोग के सभी जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ आई0पी0सी की धारा 420, 466, 467 और करप्सन ऐक्ट की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है, मुकदमें के बाद ही अरेस्टिग भी हो सकती है, बाद में इनकी संपतियों की भी जॉच की जा सकती है ? कुल मिलाकर कहा जाय तो इस भ्रष्टाचार के दल-दल में सभी परिक्षाओं सम्पन्न हुई है, जिसमें बडे अधिकारियों से लेकर पी0आर0डी0 कर्मी तक शामिल रहे हैं ? अभी तक कुल 19 सेवारत ओर रिटायर्ड कार्मिकों को गिरफ्तार किया जा चूका है।
लंबित आठ परिक्षाओं की जॉच के लिए भी एक ’एक्सपर्ट कमेटी’ जिसका नेतृत्व पूर्व आई0ए0एस अधिकारी एस0एस0 रावत कर रहे हैं गठित की गई है, नें काम करना भी शुरू कर दिया है। इस कमेटी में न्याय विभाग और आईटी विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है। रावत के अनूुसार कमेटी नें एक बैठक कर लंबित परिक्षाओं का विवरण प्राप्त कर लिया है। जिसका तकनीकि और कानूनी तौर से विश्लेषण किया जा रहा हैं, ये कार्यवाही मील का पत्थर साबित होंगीं ! धामी जी नें जैसे कहा भी है, कि उन्हें अपनीं कुर्सी की चिंता नहीं है, अपराधी चाहे ़बडा से बडा अधिकारी/नेता हो, वो दण्ड देंनें चूकेंगें नहीं ? यह निश्चित ही बडीं राजनीतिक इच्छा शक्ति की बात है, युवाओं में ऊर्जा भरेगा ? प्रतियोगी परिक्षाओं की विश्वसनीयता स्थापित करनें के लिए सरकार नें उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भविष्य में आयोजित होंनें वाली परिक्षाओं को ’प्री’ और ’मेंन्स’ के दो चरणों में आयोजित करेगा जिससे विवाद या धॉधली की स्थिति से बचा जा सकेगा, इसके लिए आयोग विभिन्न राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर रहा है। यह व्यवस्था भी काफी हद तक मेहनती ओर परिश्रमी छात्रों के लिए मददगार साबित होगी । फिलहाल यूकेएसएसएससी के दायरे में आनें वाली सभी प्रतियोगी परिक्षाओं का संचालन लोक सेवा आयोग के माध्यम से किया जा रहा है, हालॉकि इस आयोग के दायरा देशव्यापी है, जिससे स्थानीय युवाओं हक मारा जा सकता है, ? विपक्षी दलों का भी यही आरोप है ?
किन्तु इधर विपक्ष जिस तरह से धामी के फैसलों की हवा निकाल रहा है, उस पर भी निगाह दौडानें की जरूरत है, अरोप है कि एक तरफ अनुशासन के नाम पर सरकार नें बडी कार्यवाही कीं हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें बचानें के लिए कानूनी रास्ता भी छोड रखा है, विधान सभा में हुई कार्यवाही नें इसकी गवाही भी दे दी है, यूकेएसएसएससी में भी जितनें लोंगों को अंदर किया गया था, उनमें से ज्यादातर लोग जमानत पर खुली हवा में घूम रहे हैं ? अगर ये सच है, तो फिर राज्य के युवाओं और अभिवाहकों के लिए इससे बूरी खबर कुछ नहीं हो सकती है ? कहा तो ये भी जानें लगा है कि ’मेहनत और ईमानदारी’ महज किताबों की चीज रह गईं हैं, नौकरी तो उसी की लगेगी जिसकी बीचौलियों से ठीकठाक जान-पहचान होगी, फिर आम गरीब युवा तो इसकी सोच भी नहीं सकता जिसका पास इतना पैसा होगा ?
राज्य एक धनिक तंत्र का मॉडल बनकर तैयार हो गया ? हद तो तब हो गईं जब लाखों युवाओं के आदर्श व प्रेरणापूंज रहे, राज्य के पूर्व वरिष्ठ अफसर डा0आरबीएस रावत इस भ्रष्टाचार के खेवनहार निकले ? महाशय धरतीपूत्र हैं, राज्य के वन महकमें के सबसे बडे अफसर पीसीसीएफ रहे, उस दौरान सबसे चर्चित चेहरे थे, लोंगों को लगा कि रिटायर्ड होंनें के बाद सक्रिय राजनीति में आयेंगें और खराब सिस्टम को भी ठीक करेंगें ? वरिष्ठ आइएफएस डॉ0आरबीएस रावत की अच्छी पढाई-लिखाई के साथ-साथ उनका बौद्विक ज्ञान और अनुभव भी विस्तृत हैं, वे दुनियॉ के लगभग 50 से अधिक देशों का दौरा कर चुकें हैं, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय बौद्विक गोष्ठी-संगोष्ठियों में भी प्रतिभाग कर चुके हैं। वन विभाग में डेलीवेज वाले कर्मचारियों को फारेस्ट गार्ड में भर्ती करनें की शुरूवात भी इन्होंनें की । डॉ0 रावत का पीसीसीएफ पद पर कार्य करनें का समयान्तराल भी अभी तक सबसे लम्बा रहा, उनके कैरियर के ग्राफ को देखते हुऐ पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया श्री हरीश रावत नें भी यूकेएसएसएससी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान का दायित्व सौंपा था, इस विश्वास के साथ कि राज्य के नौनीहालों के साथ यह व्यक्ति न्याय करेगा, बाद में मुख्यमंत्री बनें श्री तीरथ सिंह रावत नें उन्हें अपना पर्यावरण सलाहकार नियुक्त किया,
किन्तु स्वयं हरीश रावत को इस फैसले पर शर्मिंन्दगी उठानी पडी है, उन्होंनें कहा कि वे इस फैसले पर ईश्वर और राज्य की अवाम से सार्वजनिक रूप से माफी मॉगते हैं, उन्हें नहीं पता था कि वे किस आदमी को ये दायित्व सौंप रहे हैं, दूसरे महाशय भी कम जिम्मेदार अधिकारी नहीं हैं, श्री आर0एस0 पोखरिया है, जिन्हें राज्य का मुख्य विकास अधिकारी रूद्रप्रयाग का दायित्व सौंपा गया था वे इस दौरान इस संस्था के परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ’निभाई’। तीसरे अधिकारी ’सचिव’ मनोहर सिंह कन्याल हैं, जो वर्तमान में सचिवालय जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में संयुक्त सचिव पद पर कार्यरत हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है, कि उन्हीं के घर पर रिजल्ट तैयार किया गया ? यह घिनौंना काम था कि जिसकी सोची भी नहीं जा सकती एसटीएफ नें पाया कि ओएमआर सीट के साथ छेडछाड की गईं, यानीं जो लोग अपनीं परिश्रम से परीक्षा में सफल हो रहे थे उन्हें फेल किया गया अपनें चहेते अभ्यार्थियों को सफल किया गया ? बीपीडीओ-2016 कि परीक्षा में घपले की आशंका के चलते पुर्नपरीक्षा के बाद ये मैरिट में आये ये मेधावी टॉपर नेगेटिव मार्किंग के चलते माइनस में आ गये ? इसमें सें सफल 66 अभ्यार्थियों नें पुर्नपरीक्षा में बैठनें का साहस ही नहीं जुटा पाये ?
इस पूरे प्रकरण को लेकर 8 अक्टूबर को 2022 को एसटीएफ नें तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । समूह ’ग’ परिक्षाओं की परिक्षाओं को संचालित करनें वाले इस जिम्मेदार संस्थान/अधिकारियों नें अभी तक कई परिक्षाओं का संचालन किया है, जिसमें से दुर्भाग्यवश सभी के दागदार होंनें का अनुमान लगाया जा रहा है। इस घपले में अभी तक अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से लेकर अस्थायी तौर पर नियुक्त पीआरडी कर्मचारी तक अंदर हो चुके हैं, अब तक कुल 19 सेवारत और रिटायर्ड कार्मिकों की गिरफ्तारी हो चुकिं हैं। यहॉ तक कि एसटीएफ नें वरिष्ठ आई0ए0एस एस0राजू की गिरफ्तारी के लिए भी राज्य सरकार से इजाजत मॉगी है।
सबसे बडा दुःखद सवाल ये ही कि अभी राज्य ठीक ढंग से विकसित भी नही हुआ, कि भ्रष्टाचार की विष वेलें आसमान को छूनें लगी है, अभी राजधानी जैसा अहम सवाल अधर में लटका हुआ है, राजधानीं में तमाम संस्थान बननें हैं, जिन्हें राज्यशासन के ऑख-कान-नाक कहा जाता है, आधुनिकता व साधन संपन्न विधान सभा/सचिवालय का सपना अभी अधुरा है ? युवा मृख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य के युवाओं को विश्वास लेंनें की बडी चुनौती है, अभी तक उन्होंनें जो भी प्रयास किए, वे उम्मीदें तो जगाते हैं, परन्तु साथ में आशंका भी। कारण अभी तक जितनें लोंगों को सजा देंनें का प्रयास हुआ, वे सभी किसी न किसी रूप में न्यायालय अथवा दूसरे रास्तों से खुली हवा मंे घूम रहे हैं।

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