-अशोक चंद्रा, एमडी और सीईओ, पंजाब नेशनल बैंक–
भारत की आर्थिक प्रगति सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की सफलता के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। यह क्षेत्र, न केवल हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार के रूप में कार्य करता है, बल्कि रोजगार सृजन और जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस क्षमता की पहचान करते हुए, भारत सरकार ने 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की थी, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से एक अभूतपूर्व पहल है। इस योजना को लोकप्रिय रूप में मुद्रा ऋण के नाम से जाना जाता है। सूक्ष्म और लघु उद्यम भारत के उद्यमशीलता परिदृश्य का मूल है।
आज, मुद्रा ऋण असंगठित और ऋण-सुविधा से वंचित क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय जीवन रेखा बन गए हैं तथा आजीविका सृजन और आर्थिक विकास को गति देते हैं। एक दशक पूरा होने पर, इसका प्रभाव भारत भर में अर्ध-शहरी, ग्रामीण और दूरदराज की अर्थव्यवस्थाओं के परिवर्तन से स्पष्ट होता है। अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, पीएमएमवाई योजना ने 52 करोड़ खातों के लिए 33 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के ऋण का संवितरण किया है, जिससे वंचित समुदायों को काफ़ी फ़ायदा हुआ है। उल्लेखनीय रूप से, इनमें से लगभग 50% ऋण एससी/एसटी/ओबीसी उधारकर्ताओं द्वारा प्राप्त किया गए हैं, जबकि 68% ऋण से महिला उद्यमियों को सशक्त बनाया गया है, जिससे वित्तीय समावेशन में इसकी भूमिका मज़बूत हुई है।
छोटे व्यवसायों को सक्षम बनाना, आजीविका को सशक्त बनाना
मुद्रा ऋण योजना की अवधारणा, तीन श्रेणियों- शिशु (50,000 रुपये तक के ऋण), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक के ऋण) और तरुण (5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के ऋण) के तहत बिना कोई चीज गिरवी रखे वित्तपोषण प्रदान करने के लिए बनाई गई थी। सफल एमएसई की उभरती ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अक्टूबर 2024 में एक नई श्रेणी – तरुण प्लस – की शुरुआत की, जिसके तहत मुद्रा ऋण की सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई। यह संरचना-युक्त दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि व्यवसायों को विभिन्न विकास चरणों में उनकी विशिष्ट ज़रूरतों के अनुरूप आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त हो।
छोटे व्यवसाय से जुड़े कई लोगों, जैसे स्ट्रीट वेंडर, कारीगर और ग्रामीण उद्यमियों के लिए औपचारिक ऋण तक पहुँच एक चुनौती थी। मुद्रा ऋण ने बैंकिंग अंतर को दूर करके और नए विकास के अवसरों को खोलकर छोटे उद्यमियों और स्वरोजगार करने वालों, जैसे किराना स्टोर मालिक, कारीगर और टियर-2 शहरों के तकनीकी स्टार्टअप, को सशक्त बनाया है। मुद्रा योजना के शुभारंभ के बाद से, पंजाब नेशनल बैंक ने 64.50 लाख से अधिक ऋण खातों के लिए 1.35 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जो छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने और ‘वित्तपोषण से वंचित लोगों को वित्तपोषित करने’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की इसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
महिला उद्यमिता और आर्थिक आत्मनिर्भरता को विकसित करना
मुद्रा ऋण के संवितरण का एक उल्लेखनीय रुझान महिला उद्यमियों की बढ़ती भागीदारी है। मुद्रा लाभार्थियों में से लगभग 68% महिलाएँ हैं, जो उनके बीच वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका का प्रमाण है। उदाहरण के लिए, हरियाणा की शीला देवी, जो पहले घर पर ही एक छोटे सी व्यवस्था तक सीमित थीं, ने पीएनबी से शिशु मुद्रा ऋण की मदद से अपनी फर्नीचर की दुकान का विस्तार किया है और अब पाँच अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं, जिससे उनके समुदाय में रोजगार और आत्मनिर्भरता का क्रमिक प्रभाव पैदा हो रहा है। विनिर्माण, सेवा, व्यापार और कृषि से जुड़ी गतिविधियों जैसे क्षेत्रों में देश भर में इसी तरह की सफलता की कहानियाँ देखी जा सकती हैं।
निर्बाध डिजिटल ऋण समाधानों के साथ व्यवसाय विकास को प्रोत्साहन देना
वित्तीय समावेशन में वित्तीय संस्थानों का बढ़ता योगदान, सरलीकृत ऋण प्रक्रियाओं और अभिनव डिजिटल समाधानों से संचालित हो रहा है। उदाहरण के लिए, 2023 के प्रारंभ में शुरू की गई पीएनबी ई-मुद्रा योजना, शुरू से अंत (एंड-टू-एंड) तक डिजिटल सुविधा प्रदान करती है, जिसके तहत ग्राहक पूरी तरह दस्तावेज रहित प्रक्रिया के माध्यम से 1 लाख रुपये तक के मुद्रा ऋण का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रक्रिया में किसी बैंक शाखा की भागीदारी नहीं होती है। इस प्लेटफ़ॉर्म से 14,152 लाभार्थियों को 136 करोड़ रुपये की तत्काल ऋण स्वीकृति सुनिश्चित हुई है।
पीएनबी ने 1 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच ऋण की आवश्यकता वाले व्यवसायों के लिए ‘डिजी एमएसएमई ऋण’ योजना शुरू करके अपने डिजिटल पेशकश को और मजबूत किया है, जिससे उधारकर्ताओं के लिए समय पर और परेशानी मुक्त ऋण पहुँच सुनिश्चित हुई है।
एमएसई विकास के लिए इकोसिस्टम को मजबूत करना
यह स्पष्ट है कि जमीनी स्तर पर मुद्रा योजना ने समय पर और किफायती ऋण प्रदान करने, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने तथा देश भर में आय सृजन और रोजगार वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आगे बढ़ते हुए, बेहतर डिजिटल ऋण, अधिक वित्तीय साक्षरता और मजबूत ऋण सहायता व्यवस्था को शामिल करने वाला एक बहुआयामी दृष्टिकोण, एमएसई की सफलता को गति देने के लिए महत्वपूर्ण होगा, ताकि प्रत्येक उद्यमी की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके और विकसित भारत 2047 के विजन को साकार किया जा सके।
निष्कर्ष के तौर पर, यह कहा जा सकता है कि मुद्रा योजना केवल वित्तपोषण से संबंधित नहीं है; यह उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के बारे में भी है, जो भारत के आर्थिक इंजन को गति देती है। सही वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन और दृढ़ संकल्प के साथ, आज के छोटे व्यवसाय कल की आर्थिक महाशक्ति बन जाएंगे।
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