विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि जिस प्रदेश में ऊर्जा मंत्री का दायित्व स्वयं मुख्यमंत्री के पास है, बावजूद इसके निजी स्वार्थ के चलते जनता को लुटवाने के लिए सरकार लाइन लॉस (बिजली चोरी) कम करने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। इस खेल की वजह से बिजली के दामों में फिर वृद्धि की गई है। लाइन लॉस (डिस्ट्रीब्यूशन लॉस) सरकार व विभाग कम नहीं करना चाहते, क्योंकि जितना ज्यादा लाइन लॉस होगा उतना बाहर से महंगे दामों पर बिजली खरीदनी पड़ेगी एवं इसी खेल में विभाग एवं सरकार की खुद की जेबों में धन वर्षा होगी! प्रतिवर्ष बिजली के दामों में वृद्धि इसी का एक हिस्सा है। नेगी ने कहा कि लाइन लॉस व सरकार के खेल के चलते विद्युत उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। नेगी ने कहा कि गत वर्ष 2023-24 तक विद्युत वितरण हानियां 13.89 फ़ीसदी एवं ए टी एंड सी हानियां 14.64 फ़ीसदी थी, लेकिन लॉसेस बढ़ते-बढ़ते नवंबर 2024 तक लाइन लॉस16.11 फ़ीसदी एवं ए.टी.एंड सी. हानियां 26. 21फ़ीसदी तक पहुंच गई, जोकि बहुत बड़ी हानि है तथा इसका बोझ जनता के सर पड रहा है, जिसके चलते 1500-2000 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हो रही है। नेगी ने कहा कि अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में कई जगह लाइन लॉस लगभग 42 फ़ीसदी तक है तथा एटी-सी लॉसेस लगभग 50 फ़ीसदी तक हैं, जिसको सरकार व विभाग रोकने में पूरी तरह से नाकाम हो चुके हैं, जिनकी वजह से पूरे प्रदेश का विद्युत उपभोक्ता कराह रहा है। अधिकारी अपना तर्क दे रहे हैं कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में बिजली सस्ती है, लेकिन वह ये भूल जाते हैं कि ये ऊर्जा प्रदेश है, जहां बड़ी मात्रा में विद्युत उत्पादन होता है। नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार अपने 3 साल के कार्यकाल पूर्ण होने पर जश्न मना रही है, वहीं दूसरी ओर जनता मातम मानने को मजबूर है। नेगी ने कहा कि ऊर्जा बचाओ/बिजली बचाओ का नारा हवा हवाई हो गया है। पत्रकार वार्ता में अशोक चंडोक व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।