देहरादून। प्रसिद्ध द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु 22 नवंबर तथा श्री तुंगनाथ जी के कपाट 1 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि श्री मद्महेश्वर तथा श्री तुंगनाथ में इस वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि हुई है। श्री मद्महेश्वर में 10 हजार तीर्थयात्री दर्शन कर चुके है वहीं श्री तुंगनाथ में तीर्थयात्रियों की संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है। कपाट बंद होने की तिथि घोषित होने के अवसर पर उन्होंने शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कहा कि श्री मद्महेश्वर धाम में तीर्थयात्री विकट भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद निरंतर पहुंच रहे है। उल्लेखनीय है कि मद्महेश्वर पहुंचने हेतु अभी भी 13 किमी पैदल मार्ग तय करना पड़ता है। विजय दशमी के अवसर पर शीतकालीन गद्दी स्थलों में कपाट बंद होने की तिथि तय हुई तथा विग्रह डोलियों के गद्दीस्थल पहुंचने का भी कार्यक्रम तय हुआ।
पंचकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पंचगांव हक-हकूकधारियों तथा श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के धर्माचार्यों ने पंचांग गणना पश्चात द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट बंद की तिथि निश्चित की। इस अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, वेदपाठी विश्वमोहन जमलोकी, पुजारी शिवशंकर नवीन मैठाणी, देवीप्रसाद तिवारी, विदेश शैव आदि मौजूद रहे। श्री मद्महेश्वर जी की विग्रह डोली कपाट बंद के बाद 22 नवंबर को गौंडार,23 नवंबर रांसी,24 नंवंबर को गिरिया,25 नवंबर को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।
तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दी स्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कृमठ में पुजारी विजय भारत मैठाणी ने पंचांग गणना पश्चात निर्धारित की। इस अवसर पर मठापति रामप्रसाद मैठाणी, मंदिर समिति प्रबंधक बलबीर नेगी,प्रकाश मैठाणी,अतुल मैठाणी ग्राम प्रधान विजय पाल सिंह नेगी सहित अन्य मैठाणी तीर्थपुरोहितगण मौजूद रहे। पंचांग गणनानुसार 1 नवंबर को पूर्वाह्न श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
1 नवंबर को चोपता, 2 को भनकुन तथा 3 नवंबर को श्री तुंगनाथ जी की विग्रह डोली मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि 3 नवंबर को मक्कूमठ में सामूहिक भोज का आयोजन होगा। जिसमें श्री तुंगनाथ जी की डोली भी शामिल होती है। सामूहिक देव भोज की ऐसी परंपरा अन्य कहीं नहीं है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री मद्महेश्वर जी की डोली के गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने पर मुख्य रूप से हर वर्ष मद्महेश्वर मेला होता है इस बार कपाट बंद के बाद श्री मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली 25 नवंबर को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंच रही है।
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