लोक संस्कृति के पुरोधा डाॅ. नंदलाल भारती

देहरादून: जब भी जौनसार बावर की लोक संस्कृति की चर्चा होती है तो निश्चित रूप से नंदलाल भारती उस चर्चा के केंद्र बिंदु होते हैं, क्योंकि उन्होंने किशोरावस्था से ही लोक संस्कृति के क्षेत्र में ग्रामीण स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों तक अपने गीतों, अपनी नृत्य शैली के साथ अपनी पहचान को हमेशा बनाए रखा।
डाॅ• नंदलाल भारती का जन्म जौनसार बावर के डूंगरा गाँव में 8 जनवरी सन् 1964 को हुआ। युवावस्था से ही उन्होंने संगीत के क्षेत्र में काम करना शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रारंभिक दौर में उन्होंने जौनसार बावर में 300 से अधिक गाँवों में समाज जागरण की दृष्टि से नुक्कड़ नाटक, कठपुतली नृत्य आदि द्वारा लोगों को विभिन्न कुरीतियों से जागरूक करने का काम किया। उनका मानना है कि लोक संस्कृति यदि हमारे गाँव के आँगन में जिंदा है तो विश्व पटल पर वह जौनसार बावर का परचम अवश्य लहराएगी।
श्री भारती जी अपने शब्दों में कहते हैं कि मैंने जो कुछ सीखा वह गाँव के आँगन से सीखा और संस्कृति के रूप में जो कुछ जौनसार बावर में देखा उसको विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया ।
श्री भारती जी अपनी चर्चाओं में जगत राम वर्मा और शांति वर्मा का नाम लेना नहीं भूलते, क्योंकि यह दोनों नाम भी लोक संगीत के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त है। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि नंदलाल भारती सरकारी नौकरी भी करते थे। आपने नौकरी के साथ-साथ लोक संस्कृति की भी उतनी ही ईमानदारी से सेवा की और विगत वर्ष ही आप लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए हैं।
श्री भारती को अनेक मंचों पर अपनी लोक संस्कृति का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ। श्री श्री रविशंकर प्रसाद जी द्वारा सन् 2016 में 165 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के समक्ष उन्हें जौनसार बावर की लोक संस्कृति को प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया।
परिणाम स्वरूप आध्यात्मिक गुरु श्री रविशंकर प्रसाद जी ने प्रसन्न होकर श्री भारती जी को ‘भारतीय लोक सारथी’ पुरस्कार से सम्मानित किया । लोक संस्कृति के क्षेत्र में नंदलाल भारती की अनवरत् साधना को देखते हुए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

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