देहरादून। कार्यक्रमों की श्रृंखला में दस लक्षण महापर्व के अवसर पर गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में जैन मिलन एकता एवं वीतराग विज्ञान पाठशाला द्वारा देह जाए तो भले जिन धर्म रहना चाहिए एवं जैन समाज द्वारा सामूहिक क्षमावाणी का भव्य आयोजन परम पूज्य श्रमणोपाध्याय 108 श्री विकसंत सागर जी मुनिराज के सानिध्य में हुआ।
दिगंबर जैन समाज द्वारा क्षमावाणी पर्व जैन् धर्मशाला मंे पूज्य श्रमनोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी मुनिराज के मंगल सानिध्य मे मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान महावीर स्वामी के चित्र का अनवरण कर दीप प्रजवलित कर किया गया। इसके पश्चात आशिता जैन द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। क्षमावाणी कार्यक्रम मंे मुख्य रूप से विधायक खजान दास, विनोद चमोली, डॉ आर के जैन व विशाल गुप्ता रहे। इस अवसर पर आए हुए सभी अतिथियों ने अपने विचार रखें और सबसे किए गए कार्य के लिए क्षमा मांगी।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान महावीर ने हमें आत्मकल्याण के लिए दस धर्मों के दस दीपक दिए हैं। प्रतिवर्ष पर्युषण आकर हमारे अंतरूकरण में दया, क्षमा और मानवता जगाने का कार्य करता है। जैसे हर दीपावली पर घर की साफ-सफाई की जाती है, उसी प्रकार पर्युषण पर्व मन की सफाई करने वाला पर्व है। इसीलिए हमें सबसे पहले क्षमा-याचना हमारे मन से करनी चाहिए।जब तक मन की कटुता दूर नहीं होगी, तब तक क्षमावाणी पर्व मनाने का कोई अर्थ नहीं है अतरू जैन धर्म क्षमाभाव ही सिखाता है। हमें भी रोजमर्रा की सारी कटुता, कलुषता को भूलकर एक-दूसरे से माफी मांगते हुए और एक-दूसरे को माफ करते हुए सभी गिले-शिकवों को दूर कर क्षमा-पर्व मनाना चाहिए। जैन मित्र मंडल द्वारा कढ़ी चावल वितरण जैन भवन के मुख्य द्वार पर किया गया जिसमें मित्र मंडल के सभी पदाधिकारी ने कड़ी चावल वितरण किया। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया कॉर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि वीतरण विज्ञान पाठशाला और जैन मिलन एकता के कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यसभा सांसद डॉक्टर कल्पना सैनी, मीडिया पैनलिस्ट सचिन गुप्ता रहे। आवश्यकता है जिन धर्म की रक्षा की, संगठन की, और धार्मिक शिक्षा की ,आओ मिलकर जिन धर्म की जडें मजबूत बनाएं । देह जाए तो भले जिन धर्म रहना चाहिए -जिन धर्म की रक्षा का इतिहास 22 सितंबर दिन रविवार श्री दिगंबर जैन धर्मशाला में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन वीना जैन, वंदना जैन व रश्मि जैन ने किया। जिसमंे विभिन्न कार्य क्रम हुए जिसमे महावीर प्रार्थना ,म्हारा पांच प्रभु भगवान सुहावनो रे-जिन धर्म से है प्रेम तो बस भावना यह भाईये- महान अकंपनाचार्य आदि 700 मुनियों की स्वरूप में अडिगता सर्वज्ञ के वचन सदा जयवंत रहेंगे-आचार्य कल्प पंडित टोडरमल जी का जिन धर्म के प्रति समर्पण अकलंक निकलंक का जिन धर्म के लिए बलिदान घर-घर पाठशाला हर घर पाठशाला 12-100 प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियांे को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर जैन समाज अध्यक्ष विनोद जैन, नरेश चंद जैन, सुनील जैन तुलाज ग्रुप, सुखमाल चंद जैन, अनिल जैन, सुनील जैन, राजीव जैन, प्रवीण जैन, अमित जैन, मुकेश जैन, गोपाल सिंघल जैन, सुभाष जैन, वीना जैन, ममलेश जैन, मीता जैन, अंजलि जैन, रचना जैन, पूर्णिमा जैन, सुनैना जैन, जुली जैन, रीना सिंघल जैन, बबिता जैन, वंदना जैन, सतीश जैन, सचिन जैन उपस्थित रहे।
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