मसूरी : राज्य सरकार ने लगभग एक साल पहले सिलवाड़ पट्टी की उपपट्टी अठज्यूला के काण्डी मल्ली-काण्डी तल्ली सहित आठ गांवों के लिए यमुना-कांडी पेयजल योजना को मंजूरी दी थी, जो तीन दशकों से अधिक समय से पीने के पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। दिल्ली-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के सिलासू पुल पुल के पास यमुना नदी से पानी को अपलिफ्ट किया जाना है। प्रस्ताव के तहत, सिलासू गदेरे के यमुना के संगम पर प्राथमिक इंटेक का निर्माण किया जा रहा है, और यमुना नदी से मेलगढ, काण्डी गांव होते हुए देबकाेल और आगे चौहान कोल तक लगभग आठ किमी पाइपलाइन बिछाई गई है। सिलासू में सड़क के ऊपर पहला फिल्टर प्लांट और टैंक बनाया जाएगा। दूसरा टैंक और और पंप हाउस काण्डी मल्ली में तथा तीसरा पंप हाउस छह हजार फीट ऊपर देबीकाेल में बनाया जाना है।
सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। साथ ही समय-समय पर जिम्मेदारों को सख्त चेतावनी भी दी जा रही है। इतना ही नहीं वे अक्सर विकास कार्यों की समीक्षा कर लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते नजर आते हैं. लेकिन, न तो सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रुक रहा है और न ही योजनाएं गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरी हो पा रही हैं. यही काम टिहरी जिले के ग्राम काण्डी पम्पिंग योजना की गुणवत्ता में हुआ है , रेत बजरी के बदले मिटटी लगाई जा रही है। जिससे लोगो में गुस्सा है।
दरअसल, टिहरी के इलाकों में हो रही पानी की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार ने पम्पिंग योजना नाम से एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी करोड़ो की लागत इस परियोजना में जिम्मेदारों को गुणवत्तापूर्ण कार्य करने और समय पर कार्य को पूरा करने के निर्देश शासन द्वारा समय-समय पर दिए जा रहे हैं. वहीं, जिले के आलाधिकारियों को परियोजना के कार्यों का औचक निरीक्षण कर गुणवत्ता की परख और जांच करने के निर्देश भी दिए गए हैं. बावजूद यह परियोजना भ्रष्टाचार और गुणवत्ता हीन होती दिख रही है।
वहां कार्य करने वाले मजदूरों की माने तो निर्माण कार्य कराने वाली संस्था ने निर्माण के समय मानक को ध्यान में नहीं रखा है, विभाग को अपने कमीशन से मतलब है बस कार्य के गुणवत्ता पर कोई ध्यान नही और क्षेत्रीय प्रतिनिधि गहरी नींद में है वो तब जागेंगे जब चुनाव आएंगे। बड़ी मुश्किल से कोई योजना बननी शुरू होती है 35 साल लगे इस योजना को स्वीकृत होने में ठेकेदार और विभाग की मिली भगत से 35 महीने भी नी चलेगी। साथ ही अन्य मानकों को भी ध्यान में नहीं रखा गया है।
करोड़ो की लागत से तैयार की जा रही पम्पिंग योजना घटिया मटेरियल और ठेकेदारी प्रणाली के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. करोड़ों की लागत से निर्माण कराई जा रही इस परियोजना में ठेकेदार और अधिकारी अपनी जेबे गर्म करते जा रहे हैं, तो वहीं परियोजना पर काम कर रहे कर्मियों की माने तो यह परियोजना का ठेका जिस कंपनी को मिला था और वही इस परियोजना में निर्माण कार्य अच्छा नहीं करा रही है। काण्डी ग्राम पंचायत में पाइप लाइन बिछाने में काफी अनियमितता बरती गयी है. मुख्य पाइपलाइन हवा में लटकी हुई है और जब पानी ऊपर आता है तो कंपन पाइपलाइन को नुकसान पहुंचा सकता है। पाइपलाइन का एक बड़ा हिस्सा हवा में लटका हुआ है और कई जगहों पर लकड़ी के सपोर्ट लगाए गए हैं.योजना के ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन को को सहारा देने के लिए जो पिलर बनाये जा रहे हैं वह आरसीसी के बनने हैं जिसमें ठेकेदार द्वारा मिट्टी पत्थर का प्रयोग किया गया है।
काण्डी गांव से देबीकोल के रास्ते में एक पाइपलाइन बिछाई गई है, जिससे स्थानीय लोगों के मवेशियों को इसका इस्तेमाल करने से रोका जा रहा है. प्रधान ने कहा कि उनके काम की उच्च स्तरीय जांच का अनुरोध किया गया है और जांच पूरी होने तक कोई और काम शुरू नहीं किया जाना चाहिए। यमुना-काण्डी पेयजल योजना के बारे में जानकारी देने वाले एक अधिकारी ने बताया कि योजना के काम में आ रही शिकायतों और खामियों का मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया है और ठेकेदार को इन्हें ठीक करने के लिए कहा गया है।