इलाहाबाद हाईकोर्ट के गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव के समर्थन में दारुल उलूम फरंगी महल

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव को समर्थन भी मिलने लगा है। कोर्ट के सुझाव के बाद से गाय को लेकर एक बार फिर देश में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। लखनऊ में दारुल उलूम फरंगी महल ने c करते हुए प्रदेश तथा केन्द्र सरकार से गाय को राष्टीय पशु घोषित करने की मांग की है। इसके साथ ही सभी से गाय की हिफाजत करने के पुख्ता इंतजाम भी करने का अनुरोध किया है। मौलाना सूफियान निजामी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम शुरू से इस बात को कहते रहे हैं कि गाय के संरक्षण और सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर एक कानून बनना चाहिए, जिससे गाय की हिफाजत भी हो सकेगी और गाय का सम्मान भी होगा।
लखनऊ में दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राज्य तथा केन्द्र सरकार को सभी हिंदू भाइयों की आस्था का ख्याल रखते हुए इस पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गाय की हिफाजत के लिए भी एक कानून बनना चाहिए। गाय की हत्या के मामले में भी हाईकोर्ट ने सुझाव देते हुए यह भी कहा कि जीभ के स्वाद के लिए आप को किसी का जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। मौलाना ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो यह टिप्पणी की है वह बिल्कुल मुनासिब बात है और मुझे लगता है कि केन्द्र सरकार को भी इस पर गौर करना चाहिए। मांस की खातिर गाय की हत्या करोड़ों हिंदू भाइयों की आस्था को ठेस है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए केन्द्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है। आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है। कोर्ट ने कहा कि गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। यह कृषि की रीढ़ है। देश के 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है, जबकि गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि कई मुस्लिम व हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी। गाय का मल व मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों-पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा है कि ‘उन्हें जन्म मिले तो नंद की गायों के बीच मिले।’ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को गो वध के एक मामले में सम्भल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज करने के दौरान गाय की महत्ता पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने इस मामले में कहा गया कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। देश में पूजा पद्धति भले अलग-अलग हो, लेकिन सबकी सोच एक है। सभी एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एसके पाल, एजीए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया। याची के ऊपर आरोप है कि साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर वह जंगल ले गया। वहां अन्य गायों सहित खिलेंद्र की गाय को मारकर उसका मांस इकट्ठा करते हुए उसे टार्च की रोशनी में देखा गया। शिकायतकर्ता ने गाय के कटे सिर से पहचान की। इसके बाद आरोपित मौके से मोटरसाइकिल छोड़कर भाग गया। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से जावेद बीती आठ मार्च से जेल में बंद हैं।