पर्यावरण सुरक्षा के लिए साइकिल को बढ़ावा देने की जरूरत

रेणु जैन। दुनियाभर की सरकारें और पर्यावरण की चिंता करने वाले लोग शहरी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए साइकिल सवारी को बढ़ावा देने में जुटे हैं। हर साल साइकिल के नए-नए मॉडल भी बाजार में आ रहे हैं। इनमें लकड़ी ओर बांस की साइकिल, पैडल के साथ बैटरी से चलने वाली साइकिल और फोल्ड होकर एक टोकरी में रखने वाली साइकिल भी शामिल हंै। नीदरलैंड साइकिल को बढ़ावा देने में कई यूरोपीय देशों से आगे है। इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट पॉलिसी एनालिसिस की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 37 फीसदी लोग छुट्टी के दिनों में साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि काम पर जाने के लिए सिर्फ 25 फीसदी लोग साइकिल चला रहे थे। ऐसे में नीदरलैंड सरकार साइकिल का इस्तेमाल करने वाले लोगों को टैक्स में छूट भी दे रही है। वहां प्रधानमंत्री भी साइकिल से संसद जाते हैं। इस देश में रोड एक्सीडेंट न के बराबर होते हैं। यहां देश की आबादी से ज्यादा साइकिलें हैं। बढ़ते प्रदूषण के चलते भारत सहित कई देश इलेक्ट्रिक साइकिलें भी बना रहे हैं। हाल ही में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में देश-दुनिया की साइकिल कंपनियों को एक मंच पर लाया गया। इस एक्सपो में करीब 170 कंपनियों ने हिस्सा लिया। टेरी संस्थान के एक शोध पर गौर किया जाये तो छोटी दूरी के सफर के लिए अगर दोपहिया या चार पहिया की बजाय साइकिल का इस्तेमाल किया जाये तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को 1.8 खरब रुपये का लाभ होगा। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में साइकिल के लिए अलग लेन बनाने की पहल चल रही है। कई राज्य सरकारें साइकिलिंग प्रोत्साहित करने के अभियान चला रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले साइकिलिंग इवेन्ट्स में भी कई शहरों के साइकिलिस्ट भाग लेते हैं। अच्छी बात यह कि कोरोना के बाद युवा भी साइकिल को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सेहत की रखवाली के लिए मशहूर साइकिल के दौर के फिर से लौटने के संकेत मिल रहे हैं। एक समय था जब भारत ही नहीं, लगभग दुनियाभर में साइकिल का बोलबाला था। क्या अब उसी साइकिल युग के लौटने की परिस्थितियां बन रही हैं? विदेशों में भी साइकिल लेन बनाने की तैयारियां जोर-शोर से चालू हैं। पेरिस की मेयर एन हिडैल्गो ने वहां के कई बड़े शहरों में साइकिल लेन बनाने का फैसला लिया है। पेरिस के बीच से गुजरने वाली लगभग 1400 किलोमीटर सड़कों को केवल साइकिल के लिए सुरक्षित रखने की योजना है। हिडैल्गो ने अपने साथ कई अन्य देशों को भी जोड़ा है। अमेरिका जैसे देश में इन दिनों साइकिलों की बिक्री दोगुनी हो गई है।
भारत में ‘कोरोना अनलॉक’ के बाद साइकिल की डिमांड तीन गुना बढ़ गई है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि लंदन में अब डॉक्टर अपने मरीजों को पर्ची पर दवाइयों के साथ रोज 30 मिनट साइकिल चलाने की सलाह भी दे रहे हैं। दरअसल, डॉक्टरों का मानना है कि ऐसा करके वे अपने मरीजों को दवाओं के साइड इफेक्ट से बचाने के साथ ही उनके दवाओं के खर्च में कटौती भी कर रहे हैं। पहले अधिकांश डॉक्टर साइकिल चलाने का सिर्फ जुबानी परामर्श देते थे, लिखकर देने का चलन तो अब शुरू हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर तमाम रिसर्च बताती हैं कि साइकिलिंग एक ऐसा व्यायाम है जिसके कई फायदे हैं। कैलोरी बर्न होने के अलावा जो पसीना निकलता है उससे शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। रक्त संचार प्रक्रिया बेहतर बनाने के अलावा साइकिलिंग मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाती है। शरीर के मसल्स को लाभ पहुंचता है। नियमित साइकिलिंग से मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है। साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। सुबह साइकिलिंग से डिप्रेशन तथा एंजाइटी की दिक्कतें भी दूर होती हैं।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 3 जून को विश्व साइकिल दिवस घोषित किया गया। इसकी खोज के बारे में कुछ इतिहासविद कहते हैं कि 763 ई. में पहली साइकिल बनी थी, वहीं कुछ का कहना है कि 1830 में स्कॉटलैंड के एक लुहार मैकमिलन को विश्व की पहली साइकिल बनाने का श्रेय जाता है। कहा यह भी जाता है कि साइकिल का प्रचलन 10वीं शताब्दी में यूरोप में हुआ। खैर, जब कई शहरों में साइकिल की मांग बढ़ी तो इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के निर्माताओं ने इसमें कई सुधार किए तथा 1872 में इसे सुंदर रूप दे दिया। तब साइकिल शान की सवारी मानी जाने लगी। चीन के बाद दुनिया में आज भी सबसे ज्यादा साइकिल भारत में बनती हैं। साल 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिलें थीं। कहा जाता कि दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिलें चीन की सड़कों पर चलती हैं। यहां हर एक घर में साइकिल होती है। पूरी दुनिया में हर साल 10 करोड़ साइकिलें बनाई-बेची जाती हैं। हालांकि दुनिया की आबादी के हिसाब से साइकिलों की संख्या कम हो रही है। ऐसे में अब डॉक्टरों का कहना सुखद है कि साइकिल इंसान के दिल-दिमाग और शरीर को स्वस्थ रखती है। फिर से पूरी दुनिया का ध्यान साइकिल पर जा रहा है।
साइकिल चलाने में भागीदारी किसी भी कारण से मृत्यु दर के कम जोखिम, हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह की घटनाओं के साथ-साथ सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी है। स्वास्थ्य लाभ की सबसे बड़ी संभावना उन लोगों के बीच भागीदारी बढ़ाने से आने की संभावना है जो वर्तमान में नियमित रूप से साइकिल नहीं चलाते हैं, बजाय इसके कि जो लोग पहले से ही नियमित रूप से साइकिल चलाते हैं उन्हें और अधिक साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। कार से यात्रा करने की जगह साइकिल चलाने से वायु प्रदूषण उत्सर्जन में कमी आ सकती है और आम आबादी के लिए प्रदूषक जोखिम कम हो सकता है। मौजूदा साक्ष्य आधार में महत्वपूर्ण अंतराल और अनिश्चितताएँ शामिल हैं। साइकिल चलाने में भागीदारी से जुड़े स्वास्थ्य लाभ किस हद तक मौजूदा साक्ष्य आधार के अवलोकनात्मक प्रकृति के कारण पूरी तरह से कारणपरक हैं। साइकिल चलाने में भागीदारी बढ़ाने के लिए व्यावहारिक हस्तक्षेपों के वास्तविक-विश्व आर्थिक लागत-लाभ और साइकिल चलाने में भागीदारी बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी (संयोजन) दृष्टिकोण। इन अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए, बड़े पैमाने पर, दीर्घकालिक याच्छिक नियंत्रित परीक्षणों की आवश्यकता है, ताकि विभिन्न जनसांख्यिकीय समूहों में नियमित रूप से साइकिल चलाने वाले लोगों की संख्या और साइकिल यात्राओं की संख्या में वृद्धि के संदर्भ में साइकिल चलाने में भागीदारी में दीर्घकालिक वृद्धि को प्रेरित करने के लिए हस्तक्षेप दृष्टिकोणों के संयोजन की प्रभावशीलता और लागत-प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके। स्वास्थ्य और कल्याण, आर्थिक उत्पादकता और व्यापक सामाजिक प्रभावों से संबंधित प्रासंगिक परिणामों पर ऐसे हस्तक्षेपों के प्रभावों को स्थापित किया जा सके और टक्कर के जोखिम जैसे साइकिल चलाने में भागीदारी बढ़ाने के संभावित नुकसानों का अधिक मजबूत मात्रा निर्धारण किया जा सके। विशेषज्ञों द्वारा भी साइकिल को एक बेहतरीन व्यायाम माना गया है। साइकिल की सवारी में न्यूनतम जीवाश्म ईंधन का उपयोग होता है और यह पर्यावरण में किसी भी तरह का नुकसान नहीं करता अथवा इसके उपयोग से हम न की सिर्फ पर्यावरण बल्कि आर्थिक स्थिति को भी बैलेंस रखा जा सकता है। बाइक, कारों के निर्माण, सेवा और निपटान की आवश्यकता को कम करती हैं। साइकिल की सवारी सड़क और आवासीय स्थान का संरक्षण करती है, जिससे शहरी क्षेत्रों में कम कंक्रीट और अधिक पौधों के जीवन को लाभ मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, चलने और साइकिल चलाने के लिए सुरक्षित बुनियादी ढाँचा भी अधिक स्वास्थ्य समानता प्राप्त करने का एक मार्ग है। सबसे गरीब शहरी क्षेत्र के लिए, जो अक्सर निजी वाहनों का खर्च नहीं उठा सकते, पैदल चलना और साइकिल चलाना हृदय रोग, स्ट्रोक, कुछ कैंसर, मधुमेह और यहां तक कि मृत्यु के जोखिम को भी कम करते हुए परिवहन का एक रूप प्रदान कर सकता है।

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