देहरादून। कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम महावीर चक्र विजेता शहीद मेजर राजेश अधिकारी के नाम से जाना जाएगा। शुक्रवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन देहरादून से इसका वर्चुअली शुभारंभ किया। अपने वर्चुअल संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष एवं गर्व का विषय है कि राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कुमाऊँ विश्वविद्यालय के छात्र रहे शहीद मेजर राजेश अधिकारी के नाम पर केंद्रीय पुस्तकालय का नाम रखे जाने के ऐतिहासिक पलों के हम सभी साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि हम सभी शहीद मेजर राजेश अधिकारी के देश प्रेम से ओत-प्रोत जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश की एकता व अखंडता को कायम रखने में अपना अधिकाधिक योगदान देंगे।
राज्यपाल ने माँ भारती के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले कारगिल शहीद के बलिदान को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम और इस पुनीत सोच के लिए कुलपति और पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह कुमाऊँ विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है कि मेजर राजेश अधिकारी ने अपनी बीएससी की पढ़ाई कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से की थी।
राज्यपाल ने कहा कि कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान उत्तराखण्ड के भी 75 जांबाजों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। इनमें एक नाम नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी का भी शामिल है। जिनकी वीरता की कहानी सुनकर सभी का सीना गर्व से चैड़ा हो जाता है। राजेश अधिकारी ने जहाँ खुद गोली से छलनी होकर भी दुश्मनों के बंकर तबाह कर दिए थे वहीं अदम्य साहस से प्वाइंट 4590 पर कब्जा कर शहादत प्राप्त की। मेजर राजेश अधिकारी को असाधारण वीरता एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया जो पूरे उत्तराखण्ड के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने वाले अपने जांबाज सैनिकों के बलिदान को कभी न भूलने की प्रतिज्ञा करें। कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सभी अमर शहीदों के साथ-साथ शहीद मेजर राजेश अधिकारी को पुनः नमन करते हुए में विश्वास व्यक्त करता हूं कि देश के शहीद वीर जवानों का शौर्य और अदम्य साहस सभी युवाओं को अपने राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता रहेगा।
190 total views, 1 views today