देहरादून। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश में नौकरशाही को मार्गदर्शन की जरूरत है। मुख्यमंत्री हो या मंत्री उन्हें एक बात समझनी पड़ेगी कि नौकरशाही से संवाद समाचार पत्रों के जरिये नहीं होता। यदि आपको संवाद करना है तो आपको फाइल में, मंत्रिमंडल के निर्णयों में, जहां आप निर्माण कार्य कर रहे हैं या कोई निर्णय कर रहे हैं, उस स्थल पर जाकर नेतृत्व देना पड़ता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि आप सामने से नेतृत्व कर रहे हैं तो निश्चित रूप से नौकरशाही आपका अनुकरण करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय नौकरशाही की स्थिति चिंताजनक है। सचिव स्तर पर निर्णय लेने वाले लोग घट रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पिछले कुछ दिनों से एक अदद प्रमुख सचिव वित्त या सचिव वित्त की अपने मन में तलाश कर रहे हैं। इसके लिए एक या दो नाम टकरा रहे हैं, लेकिन उन नामों में निर्णायक रूप से मन ठहर नहीं रहा है। राज्य के सामने कुछ गंभीर चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है वित्तीय संसाधनों के बढ़ाने की। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार में एक जबरदस्त दस्तक दी, तो मैंने भी शाबाश कहा। प्रदेश सरकार को संसाधन बढ़ाने के लिए बहुत सारे उपाय करने होंगे, लेकिन सरकार में इस तरह की कोई सोच दिखाई नहीं दे रही है। चुनाव से पहले तो हल्ला-गुल्ला सुनाई दे रहा था, वह अब गायब है।
राज्य के सामने बढ़ती हुई बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है। चुनाव से पहले तो हल्ला-गुल्ला सुनाई दे रहा था, वह अब गायब है। यूं तो राज्य के शायद सभी प्रमुख विभागों के ढांचे चरमराए हुए हैं, मगर शिक्षा और स्वास्थ्य का ढांचा चिंताजनक स्तर पर चरमरा चुका है। उसको व्यवस्थित करने की दिशा में कोई सशक्त पहल होती नहीं दिखाई दे रही। हमारी रुचि भी यह जानने में है कितने अक्षम लोगों को राज्य सरकार चिन्हित करती है और उनको जबरिया सेवानिवृत्ति पर भेजती है। मगर और भी बहुत सारे कदम हैं, जिसकी राज्य सरकार से अपेक्षा है, वो उठाएं और फ्रंट से लीड करते हुए दिखाई दें। पूर्व सीएम ने कहा कि वह ऐसे कुछ चुनौतीपूर्ण कार्यों का जिक्र करेंगे, जिनको तत्कालीन सरकारों ने राज्य की नौकरशाही के सहयोग से बहुत उल्लेखनीय तरीके से पूरा किया। यदि लिस्ट थोड़ी लंबी होगी तो हो सकता है दो भागों में वह इस तरीके के कार्यों का उल्लेख करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि वह न अनावश्यक रूप से नौकरशाही के निंदक हैं और न प्रशंसक। बेपरवाह नौकरशाही राज्य के हित में अच्छी नहीं होती है और इस समय बहुत सारे नौकरशाह जो सत्ता के नजदीक हैं, बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं।
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