देहरादून। भाजपा विधायकों की नाराजगी त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भारी पड़ी। मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का निर्णय जिस तरह किया गया, उससे भाजपा विधायकों में नाराजगी दिखी और भीतर खाने भाजपा नेताओं ने इस निर्णय का विरोध भी किया।
पूर्व में भी बिना चर्चा के और बाकी लोगों को विश्वास में लिए ऐसे निर्णय हुए, जिन्हें मंत्री भी स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे। एक तरह से त्रिवेंद्र की कार्यशैली सवालों के घेरे में रही और अब जब कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में भाजपा त्रिवेंद्र के चेहरे को लेकर आगे बढ़ने की स्थिति में सहज नहीं लग रही थी। आरएसएस समेत अन्य अनुषांगिक संगठनों की रिपोर्ट भी त्रिवेंद्र के अनुकूल नहीं रही। त्रिवेंद्र ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कैबिनेट के सभी 12 पदों को नहीं भरा। दो मंत्री पद खाली हैं और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार कवायद जारी रहने के बावजूद इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। एक तरह से निर्णय लेने को लेकर उनकी शिथिलता बनी रही। ऐसे अन्य मामलों में भी उनकी यह कार्यशैली रही।