-छात्राओं ने विरासत महोत्सव में शमीम अहमद से सीखे धागे के सुंदर एवं आकर्षक हैंड ब्रेसलेट बनाना
-सभी के दिलों को छू गया अवनीन्द्र शियोलीकर के सितार वादन, मालिनी अवस्थी का हिन्दुस्तानी संगीत और गोवा के कलाकारों की धूम
देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। विरासत महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत क्राफ्ट वर्कशॉप के आकर्षण आयोजन के साथ हुई। विरासत कार्यक्रम के आयोजन ग्राउंड में दून इंटरनेशनल स्कूल की छात्राओं ने हैंड ब्रेसलेट, मिट्टी के बर्तन बनाने की विधि के साथ ही यूज़ एंड थ्रो वाली वेस्टेज वस्तुओं पर कला कृति करके उनका आकर्षण एवं सुंदर बनाना भी सीखा। स्कूली बच्चों ने विरासत महोत्सव मेले के दौरान अपने नन्हें हाथों से अनेक वस्तुओं को बनाने का शौक व जज्बा दिखाया। क्राफ्ट वर्कशॉप में मुख्य बात यह देखने को मिली कि यहां 5 वर्षीय कुमारी अनायशा ने भी अपने नाजुक हाथों से वेस्टेज वस्तु पर कला कीर्ति कर करिश्मा दिखाया। क्राफ्ट वर्कशॉप में देवांशु जायसवाल,प्रेरणा सोनेशा, अनीशा, नव्या गुप्ता, आरोही, वंश रावत शाकिब खान, आरना पंत, तपस्या जोशी आदि ने अपने हाथों के हुनर दिखाकर जादू बिखरने में कोई कमी नहीं छोड़ी। विरासत सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं आज के मुख्य अतिथियों में सविता कपूर विधायक कैंट विधानसभा क्षेत्र देहरादून, सुषमा रावत डायरेक्टर एक्सप्लोरेशन ओएनजीसी, सुनैना प्रकाश अग्रवाल, बलजीत सोनी, कमलेश उपाध्याय के साथ शहर के अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
ऐतिहासिक एवं विश्व विख्यात श्विरासतश् महोत्सव में शानदार एवं आकर्षक प्रस्तुतियों ने श्रोताओ एवं दर्शकों का मन मोह लिया प् संगीत और आवाज दोनों के सुरताल मिलन से आज की संध्या ने अमित छाप छोड़ दी हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध गोवा के बहुभाषी गायक एल्विस गोज़ ने विरासत महोत्सव में अपनी जो प्रस्तुति दी, वह एक शानदार शाम के नाम हुई। उनके संगीत समूह के साथ-साथ गोवा के क्यूपेम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित गोवा संगीत और नृत्य मंडल केपेमचिम किरनम और गोवा के पोंडा से श्री महेश गौडे के नेतृत्व में श्री गुरु कला मंडल ने बहुत ही खूब धूम मचा देने वाली प्रस्तुति दी। गोवा के लोक संगीत और नृत्य का मिश्रण दिखाया गया, जिससे दर्शकों को गोवा की जीवंत संस्कृति की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम की शुरुआत एल्विस गोज़ द्वारा गाए गए मूल प्रेम गीत भुर्गियापोनैलो मोग से हुई, जिसके बाद जेरसन डोराडो और सुश्री देवना परेरा ने नृत्य कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। गोवा, एल्विस गोज़ द्वारा रचित एक गीत पेश किया गया, जिसमें इस क्षेत्र की लोक लय को दर्शाया गया। एल्विस गोज़ संगीत समूह, केपेमचिम किरनम और श्री गुरु कला मंडल द्वारा फ्यूजन संगीत प्रस्तुति ने पारंपरिक और आधुनिक संगीत तत्वों को एक साथ लाया। श्री गुरु कला मंडल द्वारा महेश गौड़े के नेतृत्व में समय नृत्य प्रस्तुत किया गया तथा केपेमचिम किरनम द्वारा ऊर्जावान देखनी नाच प्रस्तुत किया गया, जिसमें श्री ग्लोरियो गोस, देवना एल्सा परेरा तथा अन्य नर्तक शामिल थे।एल्विस गोस ने अपना मूल हिंदी गीत दीवाना भी प्रस्तुत किया, जिसके बाद महेश गौड़े समूह द्वारा गोफ नृत्य प्रस्तुत किया गया। केपेमचिम किरनम द्वारा सुंदर मांडो नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें एल्विस गोस तथा सुश्री देवना परेरा नर्तकों का नेतृत्व कर रहे थे। सांस्कृतिक संध्या की श्रृंखला में सेमोरा तथा जॉयरस द्वारा कोंकणी गीत पिसो तथा एल्विस गोस द्वारा मूल कोंकणी पॉप गीत सोपनतुलिया अंजिया भी शामिल था, जिसमें जेरसन डोराडो तथा एरीटा कार्डाेजो द्वारा नृत्य प्रस्तुतियां दी गईं। श्री गुरु कला मंडल द्वारा डांगर नाच तथा खारवी नृत्य ने शाम को पारंपरिक लोक आकर्षण में चार चांद लगा दिए। इस कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण गोवा के प्रसिद्ध संगीतकार स्वर्गीय क्रिस पेरी द्वारा गाया गया प्रसिद्ध कोंकणी गीत नाचोम-इया कुम्प्ससर था, जिसे सेमोरा और जॉयरस ने गाया था। शाम का समापन एल्विस गोज़ द्वारा विरासत फेस्टिवल नामक एक मूल रचना के साथ हुआ, जिसके बोल कोंकणी, हिंदी और अंग्रेजी में थे। इसके बाद गोवा की पूरी टीम द्वारा गोवा के संगीत और नृत्य के मिश्रण के साथ एक भव्य समापन समारोह हुआ। कार्यक्रम गोवा सरकार के कला और संस्कृति निदेशालय द्वारा प्रायोजित था। कार्यक्रम की परिकल्पना और डिजाइन गोवा के कला और संस्कृति निदेशालय के उप निदेशक श्री मिलिंद माटे ने की थी और कोरियोग्राफी श्री मिलिंद माटे और एल्विस गोज़ ने की।सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में अवनीन्द्र शियोलीकर द्वारा सितार वादन प्रस्तुत किया गया । अवनीन्द्र जी ने राग यमन से कार्यक्रम की शुरुआत की और आलाप, जोड़ और झाला की मधुर प्रस्तुति से दर्शकों की तालियां बजने लगीं। उन्होंने तीन ताल में विलम्बित और द्रुत लय वाली दो बंदिशें प्रस्तुत कीं। अवनीन्द्र शियोलीकर जी के साथ तबले पर शुभ महाराज ने संगत दी।
चार पीढ़ियों के सितारवादक परिवार में जन्मे अवनीन्द्र शियोलीकर के खून में शास्त्रीय संगीत है। अवनीन्द्र ने अपने पिता श्री सुधाकर रामभाऊ शियोलीकर से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने सितार के इमदादखानी घराने के एक प्रसिद्ध पंडित बिमलेंदु मुखर्जी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। पंडित बिमलेंदु मुखर्जी के मार्गदर्शन में उन्होंने सितार की बारीकियाँ सीखीं और उनकी जन्मजात प्रतिभा ने उन्हें महानता हासिल करने के लिए आगे बढ़ाया। उन्होंने 7 साल की उम्र में अपनी शुरुआत की और तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके प्रदर्शन की खासियत गायकी शैली पर आधारित रागों की सूक्ष्म बारीकियों की व्याख्या, लयकारी की व्याख्या और जटिल तानों का उपयोग है।
अवनीन्द्र एक परिपक्व कलाकार हैं जिनके संगीत में भावनाओं की गहरी समझ है। भारत और विदेशों में अनेक प्रस्तुतियों के अलावा, अवनीन्द्र के पास खैरागढ़ विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातकोत्तर उपाधि है, इस संस्थान में वर्ष 1993 में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। उन्होंने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जैसे कि उन्हें भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से प्रतिष्ठित प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया।, प्रतिष्ठित अखिल भारतीय रेडियो संगीत प्रतियोगिता, सुर सिंगार संसद द्वारा ष्सुर-मणिष् की उपाधि, भातखंडे ललित कला शिक्षण संस्थान रायपुर ने उन्हें ष्सुर-रत्नष् की उपाधि दी। भारत के विभिन्न भागों में अनेक प्रतिष्ठित समारोहों में भाग लिया जैसे कि तानसेन समारोह, ग्वालियर। आरंभ महोत्सव स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन, संकट मोचन समारोह, वाराणसी। उन्हें अनेक विदेशी देशों से सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कुछ एल्बम जारी किए जिनमें से एक एल्बम ष्फोक फोनोग्राम ऑफ़ 2005ष् है, एल्बम के संगीत का उपयोग हॉलीवुड फिल्म ष्बून्डॉक सेंट्स के साउंडट्रैक के रूप में किया गया था।
रीच संस्था द्वारा आयोजित विरासत महोत्सव के मुख्य द्वार पर प्रवेश करते ही सबसे पहले नजर पड़ती है तो अफगानी ड्राई फूड की शाही शॉप पर ही पड़ती हैं इस शाप की मुख्य संचालक अफसाना जी हैं। अफसाना की इस शॉप पर सभी ड्राई फूड अफगानी है और सेहत को शक्तिशाली बनाने में सभी अव्वल हैं। साथ ही ऑर्गेनिक ड्राई फूड भी शामिल है यूं तो सामान्य तौर पर ड्राई फूड यानी सूखे मेवे सभी जगह पर मिल जाते हैं, लेकिन अफसाना की शॉप पर जितने भी ड्राई फूड हैं, वे सभी स्वास्थ्य को बहुत ही शक्तिशाली बनाने वाले हैं प् सभी ड्राई फूड सेहत से मजबूत रिश्ता रखते हैं प् शाही ड्राई फूड की शाही शॉप की मुख्य संचालक/स्वामी अफसाना जी से बात हुई तो उन्होंने इन सभी ड्राई फूड के रेट भी उत्साह के साथ बताए प् शाही शॉप पर घ्4000 प्रति किलो अफगानी अंजीर से लेकर 25 लाख रुपए प्रति किलोग्राम शिलाजीत मिल रही है प् ड्राई फूड के रेट सुनकर आप चौंकिए नहीं, क्योंकि आपकी सेहत से बढ़कर कुछ भी नहीं है। यहां पर 25 लाख रुपए प्रति किलोग्राम विशुद्ध शिलाजीत,5 लाख रुपए प्रति किलो वाली असली केसर, 10 हज़ार रुपए प्रति किलोग्राम वाले बादाम के अलावा 6 हज़ार प्रति किलोग्राम वाली ऑर्गेनिक पिस्ता, जंगली सफेद बादाम 10 हज़ार रूपये किलो, अफगानी खजूर घ्3000 प्रति किलो, जंगली गोल्डन बादाम 8 हज़ार प्रति किलो तथा अफगानी खुमानी घ्4000 प्रति किलो है प् इन सभी में असली सेहत का राज यकीनन भरोसे के साथ जुड़ा हुआ है। शॉप की स्वामी मुख्य संचालक अफसाना का कहना है कि लोगों को उनकी शाही शॉप के शाही ड्राई फूड बहुत पसंद आ रहे हैं और खरीदारी भी की जा रही है प् उनका यह भी कहना है कि पिछले वर्ष भी उन्होंने विरासत महोत्सव में अपनी शॉप लगाई थी और उसमें भी ड्राई फूड की बिक्री के अलावा लोगों का भरपूर स्नेह एवं सहयोग उनको मिला था, जिसके लिए वे शुक्रगुजार हैं।
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