हरिद्वार। आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम (SBMA) द्वारा गठित स्वयं सहायता समूहों और सहकारिता को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, मुकुल माधव फाउंडेशन (MMF) द्वारा अनुदानित उद्यमिता परियोजना के अंतर्गत पाँच स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की कुल 19 महिला सदस्यों ने हरिद्वार स्थित सरस विपणन केंद्र का अध्ययन भ्रमण किया। यह पूरा शैक्षणिक भ्रमण आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं SBMA के परियोजना प्रबंधक डॉ. पंत के दिशा-निर्देशन एवं सतत मार्गदर्शन में संपादित किया गया, जिससे गतिविधि की गुणवत्ता, उद्देश्यपरकता और प्रभावशीलता और अधिक समृद्ध हुई।
इस भ्रमण के संचालन में BAIF की वरिष्ठ परियोजना अधिकारी रमि शाक्य, फील्ड कोऑर्डिनेटर आशा नौटियाल, CRP संदीश, तथा SBMA की ओर से बिमला जोशी एवं पुष्पा का विशेष योगदान रहा।
उद्यमिता के practically learning मॉडल
प्रतिभागियों को सरस केंद्र में—
विभिन्न आजीविका-आधारित उद्यम
उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया
गुणवत्ता मानक
मूल्य निर्धारण
पैकेजिंग व ब्रांडिंग
तथा बाजार मांग का विश्लेषण
जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया गया।गांव की गरीब एवं सीमांत महिलाओं को रोजगार के अवसरों, प्रशिक्षिणीय प्रक्रियाओं तथा एक सफल महिला उद्यमी बनने के चरणों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। महिलाओं द्वारा निर्मित विविध उत्पादों का अवलोकन उनकी सीख को और अधिक गहन बनाता है।
सफल महिला उद्यमियों से प्रेरणा
SHGs की महिलाओं ने SBMA की प्रेरणादायी उद्यमी बिमला जोशी सहित कई महिला उत्पादकों से उनके अनुभव, चुनौतियाँ, नवाचार तथा सफलता की वास्तविक कहानियाँ सुनीं। इस प्रत्यक्ष संवाद ने उनके आत्मबल एवं उद्यमिता दृष्टिकोण को मजबूत किया।
मिशन सुनहरा कल और SBMA का सतत प्रयास
आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम लंबे समय से ग्रामीण विकास, आजीविका संवर्धन और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।
परियोजना प्रबंधक डॉ. पंत के नेतृत्व में संचालित यह अध्ययन भ्रमण उसी सतत प्रयास का सशक्त उदाहरण है, जो महिलाओं को व्यवहारिक अनुभव, बाजार समझ और स्वावलंबी उद्यम स्थापित करने की प्रेरणा प्रदान करता है।
⭐ भविष्य के उद्यमों के लिए मजबूत नींव
यह प्रशिक्षण अनुभव प्रतिभागी महिलाओं के भविष्य के उद्यम विकास, बाजार से जुड़ाव, उत्पाद गुणवत्ता व आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह पहल स्पष्ट संदेश देती है:
“सही दिशा-निर्देशन और अवसर मिलने पर ग्रामीण महिलाएँ आर्थिक परिवर्तन की सबसे सशक्त वाहक बन सकती हैं।”
