भायंदर में भक्ति, संस्कृति और समर्पण का संगम: उत्तराखंड समाज की भव्य रामलीला बनी आस्था की पहचान

मुंबई/भायंदर, गढ़ संवेदना न्यूज: मुंबई के उपनगर भायंदर में इन दिनों भक्ति, संस्कृति और सामूहिक समर्पण की एक अनुपम छवि देखने को मिल रही है। उत्तरांचल मित्रमंडल, भायंदर द्वारा आयोजित भव्य रामलीला ने न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त किया है, बल्कि उत्तराखंड समाज की सांस्कृतिक चेतना और एकजुटता को भी सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। यह रामलीला पिछले 8 वर्षों से निरंतर आयोजित की जा रही है और हर वर्ष इसका स्वरूप और अधिक भव्य होता जा रहा है।

इस रामलीला की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें मंच पर नजर आने वाले कलाकार किसी पेशेवर रंगमंच से नहीं, बल्कि आम जीवन से आते हैं। दिन में अपनी-अपनी नौकरियां करने वाले युवा, गृहस्थी संभालने वाले परिवारजन, आयोजक, मंच प्रबंधन, वेशभूषा, प्रकाश, ध्वनि, सज्जा और अन्य स्वयंसेवक ये सभी अपने सीमित समय में अथक परिश्रम कर इस आयोजन को सफल बनाते हैं। अभिनेता से लेकर पर्दे के पीछे काम करने वाले हर छोटे-बड़े योगदानकर्ता तक की भूमिका इस रामलीला को जीवंत बनाती है।
रामलीला का निर्देशन अनिल भट्ट एवं  जय सिंह गोसाईं के कुशल मार्गदर्शन में किया जा रहा है, जिनकी सोच और अनुभव मंचन को गहराई और गरिमा प्रदान करते है। मंच संचालन की जिम्मेदारी सुरेंद्र भट्ट एवं धनंजय रावत बखूबी निभा रहे हैं, जिससे कार्यक्रम में अनुशासन और प्रवाह बना रहता है। इस रामलीला के ब्रांड एम्बेसडर राकेश भट्ट हैं, जिनकी उपस्थिति से आयोजन को विशेष पहचान मिल रही है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित यह रामलीला आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है। सत्य, त्याग, कर्तव्य और संघर्ष के माध्यम से श्रीराम का जीवन संदेश देता है कि कठिनाइयों के बावजूद धर्म और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही सच्चा मार्ग है। यह मंचन युवाओं को न केवल आध्यात्मिक दिशा देता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा भी देता है। इस आयोजन को उत्तराखंड समाज का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। उत्तरांचल मित्रमंडल भायंदर के पदाधिकारियों – अध्यक्ष अर्जुन सिंह रावत, महासचिव सुरेंद्र भट्ट, कोषाध्यक्ष भगवान सिंह राणा, प्रमुख सलाहकार शंकर सिंह रावत, कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मी रावत इन सभी के सामूहिक प्रयास से यह रामलीला उत्तराखंड समाज की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। रामलीला में रावण का किरदार महावीर सेमवाल निभा रहे हैं। भायंदर की यह रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रवासी उत्तराखंड समाज की जड़ों से जुड़ने, संस्कृति को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक मूल्यों को पहुंचाने का सशक्त माध्यम बन गई है। यही सामूहिक समर्पण और सांस्कृतिक चेतना इस रामलीला को विशेष और स्मरणीय बनाती है।