गढ़वाली एवं कुमांऊनी भाषा के लिए ‘BHASHINI राज्यम कार्यशाला’ का होगा आयोजन

-17 दिसंबर को होटल रमाडा, देहरादून में होगा आयोजन
-गढ़वाली एवं कुमाऊंनी में एआई-सक्षम, वॉइस-फर्स्ट डिजिटल गवर्नेंस पर विशेष फोकस
-भारत सरकार की प्रमुख पहल भाषिणी का लक्ष्य एआई-संचालित उपकरणों के माध्यम से भाषा बाधाओं को समाप्त करना है

देहरादून। डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (डीआईबीडी), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, उत्तराखंड राज्य आईटी मिशन, उत्तराखंड सरकार के सहयोग से ‘भाषिणी राज्यम कार्यशाला उत्तराखंड अध्याय’ का आयोजन 17 दिसंबर को होटल रमाडा, देहरादून में हो रहा है। कार्यशाला का उद्देश्य एआई-संचालित भाषा नवाचार के माध्यम से वॉइस-फर्स्ट डिजिटल गवर्नेंस को सशक्त बनाना तथा गढ़वाली एवं कुमांऊनी की डिजिटल परिवर्तन यात्रा को गति देना है। राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन के अंतर्गत भारत सरकार की प्रमुख पहल भाषिणी का लक्ष्य एआई-संचालित उपकरणों के माध्यम से भाषा बाधाओं को समाप्त करना है, ताकि सभी भारतीय भाषाओं में डिजिटल प्लेटफॉर्म और सेवाएं सुलभ हो सकें। उत्तराखंड अध्याय में नागरिकों को गढ़वाली और कुमाऊनी में वॉइस एवं टेक्स्ट इंटरफेस के माध्यम से शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाओं से जोड़ने पर विशेष जोर दिया जायेगा, जिससे राज्य की भाषाई पहचान को और सुदृढ़ किया जा सके।
समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और गहन भाषाई विरासत के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में गढ़वाली और कुमाऊनी भाषाएं सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय पहचान से गहराई से जुड़ी हुई हैं। कार्यशाला के दौरान डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन ने गढ़वाली एवं कुमांऊनी के लिए विशेष रूप से तैयार मजबूत एआई भाषा मॉडल, स्पीच रिकग्निशन सिस्टम और बहुभाषी अनुप्रयोगों के विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी जाएगी। इन पहलों को सामुदायिक सहभागिता, नागरिक-नेतृत्व वाले भाषा योगदान और शैक्षणिक एवं संस्थागत साझेदारियों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे समावेशी और सतत डिजिटल भाषा विकास सुनिश्चित हो सके।
कार्यशाला में उत्तराखंड सरकार, डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन, शैक्षणिक संस्थानों और सिविल सोसायटी के वरिष्ठ नीति-निर्माता, तकनीकी विशेषज्ञ एवं अन्य हितधारक शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान वॉइस-फर्स्ट बहुभाषी गवर्नेंस के लिए भाषिणी के टूल्स का प्रदर्शन किया जाएगा, जिनमें मित्र कार्यक्रम भी शामिल हैकृजो राज्यों की सक्रिय भागीदारी से एआई समाधानों के सह-विकास का मॉडल प्रस्तुत करता है।
इस अवसर पर भाषिणी समुदाय की भी शुरुआत की जाएगी, जिसका उद्देश्य राज्य भाषा मिशनों की स्थापना कर राज्यों को डिजिटल भाषा अपनाने में नेतृत्व प्रदान करना होगा। साथ ही, भाषादान नागरिक-योगदान मंच का लाइव प्रदर्शन किया गया, जिसके माध्यम से नागरिकों को गढ़वाली और कुमाऊनी में वॉइस एवं टेक्स्ट डेटा दान करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि एआई मॉडल और अधिक सशक्त बन सकें तथा स्पीच-आधारित सेवाओं की सटीकता बढ़े सके। प्रतिभागियों ने विभिन्न विभागों के लिए भाषा प्रौद्योगिकी को शासन प्रक्रियाओं में एकीकृत करने के रोडमैप पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यशाला में सरकारी अधिकारियों और तकनीकी टीमों के क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया जाएगा, जिससे भाषिणी के टूल्स का प्रभावी उपयोग कर डिजिटल सेवाओं को अधिक समावेशी, सुलभ और भाषाई रूप से प्रासंगिक बनाया जा सके।

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