उत्तराखंड के राजकीय विद्यालयों में लगातार घट रही छात्र संख्या, कई स्कूल बंदी के कगार पर

देहरादून। उत्तराखंड के राजकीय विद्यालयों में छात्र संख्या लगातार घट रही है। सबसे बुरी स्थिति राजकीय प्राथमिक विद्यालयों की है। छात्र संख्या में आ रही गिरावट के चलते कई प्राथमिक विद्यालय बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। सरकार द्वारा शिक्षा पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये खर्च किए जा रहे हैं, अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उसके बाद भी राजकीय विद्यालयों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। राजकीय विद्यालयों के प्रति लोगों का मोहभंग हो रहा है, लोग अपने बच्चों का दाखिला निजी विद्यालयों में करा रहे हैं। राजकीय विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाना लोग अपनी शान के खिलाफ समझ रहे हैं।
यू-डायस रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के डेढ़ हजार स्कूलों में पांच या इससे कम छात्र पढ़ रहे हैं। 130 विद्यालय ऐसे हैं जहां कि एक-एक छात्र पंजीकृत हैं। 267 स्कूल ऐसे हैं जहां कि 2-2 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। 324 विद्यालय ऐसे हैं जहां कि तीन-तीन छात्र पढ़ रहे हैं। 361 स्कूल ऐसे हैं जहां कि 4-4 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। 423 विद्यालय राज्य में ऐसे हैं जहां कि पांच-पांच विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। कम छात्र संख्या वाले सबसे अधिक विद्यालय पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में हैं। अल्मोड़ा जिले में एक-एक छात्र संख्या वाले विद्यालय 25, दो छात्र संख्या वाले स्कूल 33, तीन छात्र संख्या वाले विद्यालय 43, चार छात्र संख्या वाले विद्यालय 53 और पांच छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 50 है। पौड़ी जिले में 1-1 छात्र संख्या वाले विद्यालयों की संख्या 30, 2-2 छात्र संख्या वाले विद्यालय 61, 3-3 छात्र संख्या वाले विद्यालय 72, 4-4 छात्र संख्या वाले स्कूलों की संख्या 86 और 5-5 छात्र संख्या वाले विद्यालयों की संख्या जिले में 107 है। यदि इसी प्रकार राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या लगातार घटती रहेगी तो इन विद्यालयों को बंद करने के अलावा शिक्षा विभाग के पास अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाएगा, हालांकि अभी शिक्षा विभाग कह रहा है कि जिन विद्यालयों में एक भी छात्र अध्ययनरत है, उनको बंद नहीं किया जाएगा। जिन विद्यालयों में छात्र संख्या शून्य हो गई थी ऐसे कई विद्यालयों को शिक्षा विभाग पूर्व में बंद कर चुका है। छात्र संख्या शून्य होने पर राज्य में 1671 विद्यालयों में ताले लटक चुके हैं। राज्य में अल्मोड़ा जिले में 197, बागेश्वर में 53, चमोली में 133, चंपावत में 55, देहरादून में 124, हरिद्वार में 24, नैनीताल में 82, पौड़ी में 315, पिथौरागढ़ में 224, रुद्रप्रयाग में 53, टिहरी गढ़वाल में 268, ऊधमसिंहनगर में 21 और उत्तरकाशी जिले में 122 स्कूलों में ताला लटक चुका है।
अब सवाल उठता है कि सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये खर्च करने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था सुधर क्यों नहीं रही है। आखिर राजकीय विद्यालयों के प्रति लोगों का मोहभंग क्यों हो रहा है। लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में क्यों दाखिला दिला रहे हैं। स्कूलों में कम होती छात्र संख्या को रोकने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में घटती छात्र संख्या को लेकर शिक्षा विभाग को तो मंथन करना ही चाहिए, साथ ही समाज को भी इसे बारे में सोचना चाहिए। राजकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत है। राजकीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रति लोगों में विश्वास जगाने की जरूरत है। आज स्थिति यह है कि राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षक खुद अपने बच्चों को इन विद्यालयों में पढ़ाने से बच रहे हैं, वे अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में करवा रहे हैं।

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