देहरादून। वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान भारत के विभिन्न राज्य संवर्गों के भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए ‘मानव-वन्यजीव इंटरफेस प्रबंधन’ पर एक सप्ताह का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्देश्य इंटरफेस पर मानव-वन्यजीव संघर्ष और उसके प्रबंधन से संबंधित मुद्दों की समझ विकसित करना है। इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में असम, झारखंड, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के आईएफएस अधिकारी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के मुख्य अतिथि, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड, रंजन कुमार मिश्रा ने अपने उद्घाटन भाषण में मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन पर अपने व्यापक अनुभव साझा किए। श्री मिश्रा ने उत्तराखंड की विशाल वन्यजीव विविधता और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के साथ उनके संपर्क के बारे में बताया। उन्होंने राजाजी और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पर विशेष जोर देते हुए उत्तराखंड में संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्रों के परिधीय क्षेत्र में विभिन्न मानव वन्यजीव मुठभेड़ों के बारे में बात की। बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, काला भालू और हाथी आदि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर दबाव के कारण लोगों के साथ मुठभेड़ बढ़ रही है। उन्होंने मानव वन्यजीव संघर्ष शमन के लिए भारत सरकार और उत्तराखंड द्वारा अपनाई गई रणनीतियों के बारे में भी बात की। वन्यजीवों के कारण मानव जीवन और आजीविका के नुकसान के लिए मुआवजे को सर्वाेच्च स्तर पर संबोधित किया गया। उन्होंने विकास गतिविधियों के कारण पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की और मानव वन्यजीव संघर्षों को कम करने के लिए जंगली जानवरों के प्रति जन जागरूकता पर जोर दिया।
प्रशिक्षण की शुरुआत वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग की प्रमुख डॉ. पारुल भट्ट कोटियाल के स्वागत भाषण से हुई। पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में संस्थान के सभी प्रभाग प्रमुख, जीसीआर आईएफएस अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल हुए। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. तारा चंद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम, 16 से 20 दिसंबर, 2024 तक एक सप्ताह तक चलेगा, जिसमें प्रख्यात संसाधन व्यक्ति ‘मानव वन्यजीव इंटरफेस प्रबंधन’ पर अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करेंगे। अधिकारियों को संबंधित अधिकारियों द्वारा मानव वन्यजीव इंटरफेस प्रबंधन के लिए अपनाई गई प्रबंधन प्रथाओं से अवगत कराने के लिए देहरादून चिड़ियाघर, मोतीचूर टाइगर एन्क्लोजर और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में तीन क्षेत्रीय दौरों की व्यवस्था की जाएगी।