एसजीआरआरयू में फिजियोथैरेपी शोध की विभिन्न विधाओं पर मंथन

-400 से अधिक छात्र-छात्राओं एवम् शाधार्थियों ने किय प्रतिभाग
-दो दिवसीय सेमिनार में शोध एवम् अनुसंधान के मॉर्डन प्रारूपों पर जानकारियां सांझा

देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हैल्थ साइंसेज के फिजियोथैरेपी विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ 11 व 12 दिसम्बर को फिजियोथैरेपी के शोध की कला और विज्ञान से जुड़ महत्वपूर्णं विषयों पर जानकारियों सांझा करेंगे। एसजीआरआरयू के आईक्यूएसी सैल के सहयोग से आयोजित सेमीनार में 400 से अधिक छात्र-छात्राओं, पीएचडी शोधार्थियों एवम् फेकल्टी एवम् डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया।
बुधवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के सभागार में सेमीनार का शुभारंभ श्री गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथैरेपी विभाग के प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की सम कुलपति प्रो.(डॉ.) कुमुद सकलानी, समन्वयक डॉ. आर.पी. सिंह, डीन, स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हैल्थ साइंसेज, प्रो. (डॉ.) कीर्ति सिंह, विभागाध्यक्ष, फिजियोथैरेपी विभाग, डॉ. शारदा शर्मा व प्रो.(डॉ.) नीरज कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
मुख्य वक्ता श्री गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथैरेपी विभाग के प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन ने अपने व्याख्यान मे फिजियोथैरेपी विषय में शोध के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होेने शोध के विभिन्न चरणों को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होने जानकारी दी कि शोध का प्रथम चरण समस्या को पहचानना, द्वितीय चरण उससे सम्बधित साहित्या का अध्ययन, तृतीय चरण शोध के उद्देश्यो पर आधारित परिकल्पना पर अभिधारणा बनाना, चौथा चरण शोध के स्वरूप को पहचानना, पांचवा चरण डेटा संग्रहण, छठा चरण सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण करना, सातवा चरण विश्लेषण के परिणामों को लिखकर अभिलेख बनाना, आठवा चरण परिणामों पर चर्चा- परिचर्चा करना एवं नवंा चरण शोध का निष्कर्ष निकालना होता है। उन्होनें बताया कि फिजियोथैरेपी शोध का दायरा काफी विस्तृत है क्योकि फिजियोथैरेपी का उपयोग हड्डी रोग, न्यूरो, हदय रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं अन्य रोगों के उपचार मे भी किया जाता है। उन्होने कहा कि फिजियोथैरेपी शोध सीधे तौर पर इजीनियरिंग से भी जुडी हुई है। उन्होनें कहा कि फिजियोथैरेपी मे इस्तेमाल होेने वाले सभी उपकरण इजीनियरों द्वारा बनाये जाते है। उन्होने कहा कि फिजियोथैरेपी मे होने वाले शोध इंजीनियरों को उपकरणों के निर्माण मेे मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होनें फिजियोथैरेपी के विभिन्न आयामों में होने वाले शोध के विषय में फिजियोथैरेपी छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, फैकल्टी व डाक्टरों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देकर उनका ज्ञानवर्धन किया।
प्रो. (डॉ.) कुमुद सकलानी ने विश्वविद्यालय की ओर से आए हुए मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सिद्वार्थ सेन का स्वागत किया। उन्होने कहा कि फिजियोथैरेपी अपने आप में सबसे भिन्न विशेषज्ञता विधा है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी में शोध द्वारा कई प्रकार के रोगों का उपचार संभव है। उन्होने कहा कि यह सेमिनार फिजियोथैरेपी के विद्यार्थियों व शोधकर्तााओं हेतु ज्ञान संवर्धन का अनुठा मंच है।
डॉ. आर.पी.सिंह ने कहा कि रोकथाम उपचार से बेहतर है सिद्वांत पर फिजियोथैरेपी काम करती है। उन्होनें कहा कि शोध हमे यह प्रमाणित करने में सहयोग करता है कि कोई भी तथ्य आस्तित्व में है य नही एवं है तो कितना कार्यात्मक है। प्रो.(डॉ.) कीर्ति सिंह ने कहा कि इस सेमिनार का आयोजन करवाना फिजियोथैरेपी विभाग की एक सराहनीय पहल है। उन्होनंे कहा कि अन्य विषयो की तरह फिजियोथैरेपी में भी शोध का काफी महत्व है। सेमिनार के आयोजन में डॉ. शमां परवीन, डॉ. सन्दीप कुमार, डॉ. मंजुल नौटियाल, डॉ. तबस्सुम, डॉ. सुरभि थपलियाल, डॉ. रविन्दर, डॉ. दीपा एवं डॉ. जयदेव का विशेष सहयोग रहा।

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