महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर कर रहीं परिवार की आर्थिकी मजबूत

देहराूदन। उत्तराखंड की महिलाएं तेजी से स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर अपनी व अपने परिवार की आर्थिकी को मजबूत कर रही हैं। महिला समूहों ने इस वर्ष केदारनाथ यात्रा के दौरान करीब 01 करोड़ रुपए का कारोबार किया। केदारनाथ में दुनियाभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को मुख्य तौर पर केदारनाथ धाम के लिए महाप्रसाद, धाम का सोवेनियर, धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग और चारधाम के तोरण बनाकर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा सरस रेस्तरां एवं आउटलेट, हिलांस कैफे एवं बेकरी संचालन के माध्यम से भी महिलाओं को आजीविका से जोड़ा गया है।
केदारनाथ यात्रा से जुडे़ विभिन्न महिला समूहों ने गत वर्ष जहां करीब 70 लाख का कारोबार किया था, वह इस वर्ष बढ़कर करीब 01 करोड़ रुपए पहुंच गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर (आरबीआई), ग्रामीण उद्यम त्वरण परियोजना (आरईएपी) सहित अन्य विभागों के माध्यम से महिलाओं की आजीविका को सुधारा जा रहा है। इस वर्ष पहली बार यात्रा मार्ग पर दुग्ध विकास विभाग के माध्यम से आंचल डेयरी के सात आउटलेट एवं पार्किंग भी खोले गए थे जो महिला समूहों एवं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनकर तैयार हुए हैं। केदारनाथ धाम एवं यात्रा मार्ग के विभिन्न हैलीपैड़ एवं मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को करीब लाख रुपए का प्रसाद बेचा गया। 10 महिला स्वयं सहायता समूहों की 60 से ज्यादा महिलाओं द्वारा तैयार चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग तीर्थयात्रियों ने खरीदे। गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी प्रसाद पैकेज में शामिल रहा। काश्तकारो से 110 रूपए प्रतिकिलो के हिसाब से करीब 100 कुंतल चौलाई की खरीद की गई, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है। ऊखीमठ ब्लॉक के त्यूड़ी स्थित आस्था स्वयं सहायता समूह से जुड़ी करीब 40 महिलाओं ने 05 लाख रुपए का प्रसाद यात्रा मार्ग पर बेचा।
केदारनाथ यात्रा के दौरान करीब 25 लाख रुपए के लड्डू एवं चूरमा बेचा गया। वर्ष 2017 में प्रसाद योजना शुरू होने से पहले चौलाई का उत्पादन बेहद सीमित हो गया था जबकि अब इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। बेलपत्री का उत्पादन करने वाले किसानों को भी योजना का सीधा लाभ मिल रहा है। सात आउटलेट पर विभिन्न समूह एवं लोगों ने करीब 20 लाख रुपए का व्यापार किया है। अगस्त्यमुनि में संचालित सरस रेस्तरां ने इस यात्रा अवधि में 07 लाख रुपए से अधिक का व्यापार किया गया, जबकि सरस विपणन केंद्र ने करीब 03 लाख रुपए का व्यापार किया। गिवाणी में संचालित हिलांस कैफे ने करीब 06 लाख जबकि नवकिरण बेकरी ने 04 लाख का व्यापार किया है। ईष्ट घण्डियाल उत्पादक समूह, बड़ेथ द्वारा केदारनाथ सोविनियर का निर्माण एवं व्यवसाय कर करीब सात लाख रुपए का व्यापार किया गया। ऊखीमठ में हिमालय स्वयं सहायता समूह द्वारा शिलाजीत तैयार कर यात्रा मार्ग पर उपलब्ध कराई जा रही है। इस यात्रा सीजन में करीब दो लाख का व्यापार इस समूह ने किया है। स्वास्तिक महिला स्वयं सहायता समूह पिछले दो वर्षों से चारधाम थीम वाले तोरण तैयार कर बेच रहा है। इस वर्ष इस समूह ने करीब 05 लाख रुपए के तोरण यात्रा मार्ग पर बेचे हैं। इसके अलावा धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग सहित अन्य सामग्री बेचने वाले महिला समूह एवं स्थानीय लोगों ने करीब 10 लाख रुपए का व्यापार यात्रा के दौरान किया।

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