अस्सी हजार के नकली नोटों के साथ एक गिरफ्तार

-रेस्टोरेन्ट की आड़ में करता था नकली नोट चलाने का अवैध कारोबार

देहरादून। एसटीएफ ने नकली नोट छापने वाले सौदागर को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 80 हजार रूपये के 500-500 के नकली नोट बरामद किये। एसटीएफ ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। शनिवार को जानकारी देते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि उत्तराखण्ड एसटीएफ को विभिन्न सूत्रो से सूचना प्राप्त हो रही थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति देहरादून में नकली नोटों को छाप कर बाजार में असली के रूप में चला रहे है, जो त्यौहार होने के कारण अत्यधिक मात्रा में बाजार में खपत किये जा सकते हैं। सूचना पर एसटीएफ ने जांच की तो पता चला कि एक व्यक्ति जिसका नाम परमित है, आईएसबीटी के पास मूलचन्द एनक्लेव में रहता है जो कि नकली नोट अपने घर पर ही छापकर बाजार में असली के रूप में चला रहा है। जिस पर एसटीएफ ने उसकी निगरानी शुरू कर दी। निगरानी से यह भी पता चला कि यह व्यक्ति कैनाल रोड पर अपना रेस्टोरेन्ट चलाता है, जिसकी आड़ में इसके द्वारा बाजार में नकली नोटों की खपत की जा रही है। इस पर एसटीएफ की टीम द्वारा निगरानी रखते हुये शनिवार को एक काले रंग की क्रेटा कार की तलाशी ली गयी। जिसमें परमित कुमार पुत्र रणवीर सिंह निवासी ग्गाम कुडी खरखोदा थाना खरखोदा, जिला मेरठ, हाल निवासी मूलचन्द एनक्लेव थाना पटेल नगर को पकडा गया। उसकी जामा तलाशी ली गई तो इस व्यक्ति के कब्जे से 500-500 रुपये की 2 गड्डी मिली, जिनको गिनने पर कुल 160 नोट 80 हजार रुपये बरामद किये गये। पकडे गये अपराधी परमित के कब्जे से नकली नोट बनाने में प्रयुक्त किये जाने वाले लैपटॉप, प्रिन्टर, बिना कटिंग के आधे निर्मित 14 हजार रूपये मूल्य के 500-500 रूपये के नोट व अन्य सामग्री बरामद हुयी है। पूछताछ में उसने बताया गया कि उसका एक कैनाल रोड पर अन्नपूर्णा नाम का रेस्टोरेन्ट है। जहां से वह सामान आदि के नाम पर नकली नोटों को अपने ग्राहकों से बदल लेता है तथा बाजार से सामान क्रय करने में नकली नोटों को प्रयोग करता है। आरोपी ने  बताया गया कि ज्यादा कमाई के लिये उसने एक कॉल सेन्टर मल्टी टास्क जॉब नाम से अपने फ्लैट में ही संचालित किया जा रहा था, जिसको वह अकेला चलाता है। जिसके लिये वकायदा विजिंटिंग कार्ड छपवाये गये थे तथा भिन्न भिन्न वेबसाईट से बेरोजगर युवक/ युवतियों के फोन नम्बर देखकर उन्हे कॉल करके नौकरी लगाने का झाँसा देकर प्रत्येक से 1500 से 2000 रूपये की ठगी का कार्य किया जा रहा था।

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