निर्वतमान नगरनिगम पार्षद कमली भट्ट की मुसीबतें बढ़ीं, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया

– आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी की याचिका स्वीकार

देहरादून: देहरादून नगर निगम में इस बार मेयर पद महिला के लिए आरक्षित होने की जबरदस्त चर्चा है। ऐसे में भाजपा की निर्वतमान निगम पार्षद कमली भट्ट को मेयर टिकट के लिए संभावित उम्मीदवारों में गिना जा रहा है। लेकिन अब उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी की उस याचिका को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया हे जिसमें उन्होंने कमली भट्ट पर लोक सेवक होने के नाते आय से अधिक संपत्ति जुटाने और चुनाव घोषणा पत्र में संपत्ति के तथ्य छिपाने के आदेश हैं। हाईकोर्ट ने इस संबंध में कमली भट्ट और अन्य से जवाब तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2025 को होगी।
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक भारती ने आय से अधिक मामले के आरोपों से घिरी कमली भट्ट को नोटिस जारी कर दिये हैं। यह नोटिस विकेश नेगी की याचिका पर जारी किये हैं। याचिकाकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने विजिलेंस में शिकायत की निर्वतमान निगम पार्षद ने 23 अक्टूबर 2018 को संपत्ति घोषित की। आय का साधन टयूषन बताया’। वार्षिक आय एक लाख 92 हजार घोषित की। बेटे की शिक्षा प्रद्युमन पर 80 हजार सालाना बताया। पार्षद बनने के बाद कमली भट्ट की; घोषणा की थी कि उनके पति के नाम भट्ट गांव में पुश्तैनी जमीन है और नया गांव में एक तिहाई बीघा जमीन है जिसकी कीमत 20 लाख बतायी। इसके अलावा नत्थूवाला ढांग में आधा बीघा का प्लाट जिसकी कीमत 35 लाख बतायी।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने पार्षद कमली भट्ट के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला विजिलेंस को दिया गया था। विकेश के मुताबिक कमली भट्ट ने चुनाव में 376 वर्ग मीटर के एक प्लाट का उल्लेखन नहीं किया जो कि उन्हें उपहार में किसी कुंवर सिंह ने दिया था। यह जमीन 26 मार्च 2015 को दी गयी थी। सितम्बर 2019 में उन्हें एक जमीन 1801 वर्ग मीटर की ललिता आर्य ने बेची। इसमें से कुछ संपत्ति कमली ने नरबहादुर थापा को दिसम्बर 2020 में बेच दी। चुनाव के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त जारी रही। यह भी आरोप लगाया कि कमली भट्ट ने पूनम शर्मा के नाम से भी संपत्ति खरीदी। आरोप है कि अधोईवाला में नगर निगम और प्राइवेट भूमि के सैटेलमेंट की एवज यह भूमि मिली।
विशेष सर्तकता न्यायाधीश अंजली नौटियाल ने इस मामले का निपटारा करते हुए विकेश नेगी की याचिका को निरस्त कर दियाा। इसमें कहा गया है कि विजिलेंस भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रही है और इसकी आख्या कोर्ट को भी दी गयी है। विशेष न्यायाधीश ने इस संबंध में धारा 153 (3) यानी मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद पुलिस जांच की अपील को निरस्त कर दिया है। अदालत के अनुसार विजिलेंस जब मामले की जांच कर रही है तो फिर वाद निरस्त योग्य है। इसके बाद एडवोकेट नेगी ने अब हाईकोर्ट की शरण ली है।

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