-परिवर्तन लाने के लिए साहित्य सबसे शक्तिशाली माध्यमः डा. संजय
देहरादून। पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय ने लखनऊ में आलोक सिंह, सुमन मोहिनी एवं हरि प्रकाश गुप्ता को उनकी नव प्रकाशित रचना ‘हां मैं एक कुत्ता हूं‘, ‘यादों की परछाईयां‘, ‘एक शाम ठहरी सी‘ का विमोचन किया और उन्होंने कवियों को उनकी नव प्रकाशित रचना के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं दी।
उन्होंने अपने संबोधन में कविता के माध्यम से कहा कि जैसे-जैसे सपने बढ़ते हैं/वैसे-वैसे जीवन बढ़ता है/मैं तो कहूंगा/सपनों को बुनो, पालो, पोषो, बढ़ाओं/अपनी पूरी लगन और मेहनत से/क्योंकि सपने ही तो भविष्य हैं/हमारा और आपका/अपने सपनों को पूरा करने के लिए/क्योंकि जीवन का आधार ही है सहयोग/ सहयोग के बिना हम सबकी उत्पत्ति ही नहीं हुई होती/ ना ही होता इतना विकास एवं विस्तार। हमें एक दूसरे के सपनों को पूरा करने के लिए सहयोग के आदान-प्रदान की आवश्यकता होती है। डॉ. संजय ने कहा कि परिवर्तन एक सार्वभौमिक सत्य है और समाज में परिवर्तन लाने के लिए साहित्य एक सबसे शक्तिशाली माध्यम है।
पद्मश्री डॉ. संजय ने अपनी कविता के माध्यम से यह भी कहा कि कविता का एक निश्चित काम होता है कि दूसरों की चेतना में पैठ बनाना/दूसरों की मानसिकता को प्रभावित करना/और दूसरों की सोच को रूपांतरित करना/यदि कविता यह नहीं कर पाई तो कविता कहां है? बल्कि एक निरर्थक रचना है।
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