दो दिन में खोली जाएं बंद सड़कें

-जो नहीं खुल पाएंगी, उसका कारण करना होगा स्पष्ट
-मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव आपदा प्रबंधन ने की समीक्षा बैठक

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अवरुद्ध मार्गों को दो दिन के भीतर खोलने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जो मार्ग दो दिन में नहीं खोले जा सकते, कारण सहित उसकी रिपोर्ट सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास को उपलब्ध कराने को कहा है। मा मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि अवरुद्ध मार्गों को शीघ्र खोला जाए और इस संबंध में लापरवाही बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने सोमवार को प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बंद मार्गों को लेकर सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक की और सभी अवरुद्ध मार्गों को जल्द से जल्द से जल्द सुचारू करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने बारी-बारी सभी जनपदों में बंद सड़कों की समीक्षा की और संबंधित विभाग के अधिकारियों से सड़कों को खोलने का टाइम लाइन मांगा।
सोमवार को सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास ने यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से सभी जिलों के नोडल अधिकारी, आपदा प्रबंधन, पीडब्ल्यूडी, पीएमजीएसवाई, एनएच, बीआरओ के अधिशासी अभियंताओं तथा जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ अवरुद्ध मार्गों को खोले जाने को लेकर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मार्गों को खोलने में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को समझा तथा मौके पर उनका समाधान भी किया।
इस दौरान सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि आपदा राहत और बचाव कार्यों के साथ ही पुनर्प्राप्ति के कार्यों में धन की कमी नहीं है। आवश्यकतानुसार पहले भी जनपदों को एसडीआरएफ मद से काफी धनराशि दी जा चुकी है और भविष्य में भी जनपदों को जरूरत के अनुसार और धनराशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आपदा से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूरा करने के निर्देश दिए हैं ताकि आम जनमानस की दिक्कतों को कम किया जा सके।
बैठक में कई जिलों के अधिकारियों ने कार्य करने में आने वाली व्यवहारिक दिक्कतों को सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के समक्ष उठाया। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंताओं ने कहा कि एचओडी स्तर पर आगणन स्वीकृत होने में काफी समय लगता है, लिहाजा जिलाधिकारी के स्तर पर स्वीकृति मिल जाए तो कार्य और तेजी से किए जा सकते हैं। इस पर सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि बड़े कार्य मुख्यालय स्तर पर स्वीकृत होंगे, लेकिन छोटे कार्यों की स्वीकृति जिलाधिकारी के स्तर पर ही मिल जाए, इसके लिए जल्द एक शासनादेश जारी किया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द छोटे कार्यों को संपादित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जनपदों को जो पैसा दिया गया है, उसमें से 25 प्रतिशत तक जिलाधिकारी खर्च कर सकेंगे, इस संबंध में जल्द निर्देश भी जारी किए जाएंगे। इस पैसे से पीडब्ल्यूडी और पीएमजीएसवाई अपने कार्य कर सकेंगे। इस दौरान सचिव श्री सुमन ने कहा कि जिले अपने स्तर पर आगणन स्वीकृति की प्रक्रिया को आपस में बैठकर सरल बनाएं।
उन्होंने कहा कि मार्गों को सुचारू करने में लिखित अनुमति का इंतजार न करते हुए फोन व वर्चुअल माध्यम से अनुमति लेकर कार्य संपादित किए जाएं, ताकि मार्ग खोलने में अनावश्यक विलंब न हो। उन्होंने कहा कि शासन स्तर पर उनकी पूरी कोशिश होती है कि जल्द से जल्द प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएं, लेकिन स्थानीय स्तर पर जो तकनीकी दिक्कतें आती हैं, उनका समाधान जनपदों को ही करना है।
बैठक के दौरान सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा पुराने वर्षों की देनदारियों का जल्द से जल्द निपटान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि चाहे देनदारियां पीडब्ल्यूडी की हों या पीएमजीएसवाई की हों, उन्हें जल्द से जल्द क्लियर किया जाए। उन्होंने कहा कि जेसीबी के ठेकेदारों की जो भी पुरानी देनदारियां हैं, उन्हें भी जल्द से जल्द क्लियर किया जाए ताकि उनका भरोसा विभाग पर बना रहे। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास ने सभी जनपदों को पीडीएनए यपोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंटद्ध के प्रस्ताव जल्द से जल्द भेजने को कहा ताकि क्षतिपूर्ति की कार्रवाई तेज की जा सके। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के लिए प्रारूप बना है। इसी के अनुरूप प्रस्ताव भेजा जाए। शासन में पीडीएनए के प्रस्ताव आएंगे, उसके बाद पीडीएनए किए जाने की अनुमति दी जाएगी। नुकसान को देखते हुए पीडीएनए किन क्षेत्रों में किया जाना है, इसका प्रस्ताव जनपदों को भेजना है, वह इसे जल्द भेजना सुनिश्चित करें। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि बैठक में विभिन्न विभागों ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार दो दिन में प्रदेश की 95 प्रतिशत सड़कें खोल ली जाएंगी। जो नहीं खुल पा रही हैं, वह ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन एक पखवाड़े के भीतर उन्हें भी खोल लिया जाएगा।

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