नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा है कि वह अगले दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने यह घोषणा आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद की है। पांच माह तक जेल में रहने के बाद पहली बार पार्टी मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उन्हें कानून की अदालत में न्याय मिला, लेकिन अब वे जनता की अदालत में न्याय चाहते हैं। जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती, मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उनके साथ ही मनीष सिसोदिया भी सरकार में शामिल नहीं होंगे।
राजनीतिक जानकार केजरीवाल के इस फैसले को हरियाणा चुनाव व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी को हुए नुकसान को रोकने की कोशिश से भी जोड़ कर देख रहे हैं। बहरहाल जो भी केजरीवाल ने इसके साथ ही दिल्ली में समय से पहले चुनाव कराने की मांग भी कर दी है।
उन्होंने कहा है कि दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं। मगर उन्होंने मांग की कि नवंबर में महाराष्ट्र चुनाव के साथ ही दिल्ली के भी चुनाव कराए जाएं। केजरीवाल ने कहा कि चुनाव होने तक पार्टी से कोई और मुख्यमंत्री होगा। अगले 2-3 दिनों में विधायकों की बैठक होगी, जिसमें अगले मुख्यमंत्री पर फैसला किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लोगों के बीच जाएंगे और उनका समर्थन मांगेंगे। केजरीवाल ने कहा कि अगर दिल्लीवालों को लगता है कि मैं ईमानदार हूं तो मेरे पक्ष में वोट दें और लगता है कि गुनाहगार हूं तो मुझे होने वाले चुनाव में वोट ना दें। केजरीवाल ने कहा कि इन्होंने (भाजपा वालों ने) मेरे ऊपर आरोप लगाया है कि केजरीवाल चोर है, भ्रष्टाचारी है, भारत माता के साथ धोखा किया है। केजरीवाल ने कहा कि मैं राजनीति में यह करने के लिए नहीं आया था। सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता का खेल खेलने के लिए राजनीति में नहीं आया था। ये लोग मुझे बेइमान साबित करना चाहते हैं। लेकिन मेरे लिए भाजपा नहीं बल्कि देश की जनता महत्वपूर्ण है।
अगर दिल्ली की जनता को लगता है कि केजरीवाल बेइमान है तो मैं एक मिनट के लिए भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में इज्जत और ईमानदारी के अलावा कुछ नहीं कमाया है, मेरा और मेरी पार्टी का बैंक अकाउंट खाली है। अगर पैसे ही कमाने थे तो इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी बुरी नहीं थी। जब मैंने नौकरी छोड़ी थी, तब कोई पार्टी नहीं थी और ना तो मुख्यमंत्री बनने चला था। मेरा कोई भविष्य नहीं था, केवल मेरे अंदर देश के लिए जूनून था कि देश के लिए कुछ करना है। मैंने अपने उसूलों के लिए मात्र 49 दिन के अंदर इस्तीफा दिया था। गरीब का जीवन यापन देखने के लिए 2010 तक मैंने दिल्ली की झुग्गियों में दिन बिताएं हैं।
केजरीवाल ने भाजपा द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर कहा कि कि ये लोग पूछते हैं कि जेल जाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? इसका केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि मैंने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया, क्योंकि मैं देश के जनतंत्र को बचाना चाहता था। उन्होंने कहा कि इन्होंने एमएलए खरीदने, पार्टियां तोड़ने, डराने के अलावा इन्होंने एक और फॉर्मूला बनाया है कि जहां भी यह लोग चुनाव हारें, वहां के मुख्यमंत्रियों पर फर्जी केस कर उसे गिरफ्तार कर लो और सरकार गिरा दो। केजरीवाल ने कहा कि इन्होंने विपक्ष का एक भी नेता ऐसा नहीं छोड़ा है, जिस पर केस नहीं किया हो।
केजरीवाल ने कहा कि यह लोग हमारी ईमानदारी से डरते हैं। ये लोग बेइमान हैं, इसलिए बिजली फ्री नहीं कर सकते। कई राज्यों में इनकी 15-30 साल से सरकारें चल रही हैं, लेकिन ये स्कूल-अस्पताल ठीक नहीं कर पाए। ये अच्छा इलाज नहीं दे सके। महिलाओं को बस यात्रा फ्री नहीं कर पाए, मैंने ईमानदारी से काम करके यह सब करके दिखाया है, तमाम मुफ्त सुविधाएं देने के बाद भी दिल्ली सरकार मुनाफे में है, जबकि बाकी राज्य घाटे में हैं। ये हमारी ईमानदारी का मुकाबला नहीं कर सकते, इसलिए इन्होंने ईडी-सीबीआई, दिल्ली पुलिस हमारे ऊपर छोड़कर ढेरों केस कर दिए हैं। केजरीवाल ने कहा कि मेरे लिए कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की कुछ शर्ते लगाई हैं कि काम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में इन लोगों ने शर्तें लगाने में क्या कोई कसर छोड़ी थी? एलजी साहब ने शर्ते लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्र सरकार ने कानून पर कानून लाकर मेरी पावर छीन ली, लेकिन मैंने दिल्ली के काम नहीं बंद होने दिए। ये शर्तें हमारे लिए कोई अड़चन नहीं हैं।
केजरीवाल ने जेल में बिताए दिनों के बारे में कहा कि वहां सोचने और पढ़ने का काफी वक्त मिला। कई किताबें पढ़ी हैं। भगत सिंह की जेल डायरी को कई बार पढ़ा। उन्होंने कहा कि 90-95 साल पहले जेल में भगत सिंह द्वारा उस समय लिखे जाने वाले पत्र जेल से बाहर उनके क्रांतिकारी साथियों को अंग्रेज पहुंचा देजे थे, मगर मेरा 15 अगस्त पर आतिशी से झंडा फहरवाने वाला मेरा पत्र एलजी तक नहीं पहुंचाया गया, पत्र मुझे वापस कर दिया गया और पत्र लिखने पर पारिपारिक मुलाकात बंद कर देने की चेतावनी तक दी गई।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज भी स्वतंत्रता सेनानियों को एक जेल में रखते थे, लेकिन मुझे और मनीष सिसोदिया को अलग-अलग जेल में रखा गया। केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों से अपील की कि अगर उन पर केस दर्ज किए जाते हैं तो वे जेल से इस्तीफा न दें। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों के खिलाफ झूठे केस दर्ज किए जाते हैं, अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे इस्तीफा न दें, बल्कि जेल से सरकार चलाएं।
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