जैन मुनि उपाध्याय विकसंत सागर जी महाराज बदरीनाथ से पदयात्रा कर दून पहुंचे

देहरादून। आचार्य विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य जैन मुनि उपाध्याय विकसंत सागर जी महाराज संघ सहित देवभूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ से पदयात्रा करते हुए ऋषिकेश से होते हुए देहरादून में मंगल आगमन हुआ। उनके साथ साथ संघस्थ अन्य साधुगण का मंगल आगमन जैन भवन में हुआ है। जैन भवन में पधारने पर जैन समाज के श्रद्धालुओं के द्वारा पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती के साथ आगमन हुआ एवं समाज द्वारा श्रीफल अर्पित किया गया। तद्पश्चात पूज्य श्री का मंगल उद्बोधन हुआ।
मांगलिक प्रवचन में कहा कि सभी को अपने कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए अपने आचा विचारों का ध्यान रखना चाहिए। भाग्यशाली होते हैं जिन्हें संतों का संग मिलता है। क्योंकि संत ईश्वर का सगुण रूप होते हैं, इसीलिए संतों के साथ सत्संग ईश्वर के साथ सत्संग के समान है। संत ज्ञान के सागर समान है, इसलिए यदि हम उनके पास सीखने की वृत्ति से जाते हैं तब हमें अवश्य लाभ होगा। अनेक कार्यों में से संत का एक विशेष कार्य है लोगों को उनके खरे दिव्य स्वरूप अथवा आनंद को अनुभव करने हेतु मार्गदर्शन करना। संतों में विद्यमान ईश्वरीय तत्व अथवा दैवीय तत्व अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण अधिकांश साधक इसे समझ नहीं पाते। क्योंकि संत को पहचानने के लिए आवश्यक सूक्ष्म को समझने की क्षमता साधक में नहीं होती। इस अवसर पर गिरनार गौरव कर्मयोगी पीठाधीश 105 श्री समर्पण सागर जी महाराज ने सभा का संचालन किया मंगल मय अगवानी कर स्वागत किया। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री राजेश जैन, साधु सेवा समिति के संयोजक अशोक जैन बल्ब फैक्ट्री , मुकेश जैन रोडवेज, जैन भवन के प्रधान सुनील जैन, मंत्री संदीप जैन बडगांव, कोषाध्यक्ष मनोज जैन सह मंत्री विपिन जैन, सुमन जैन सुप्रिया जैन सिम्मी जैन पूनम जैन सुदेश जैन आदि उपस्थित थे मीडिया संयोजक मधु जैन ने बताया कि अभी  उनका मंगलमय प्रवास देहरादून में वर्तमान में है  सभी श्रद्धालु जैन धर्म लाभ के लिए जैन भवन आकर पुण्य के भागी बने। इस अवसर पर जैन समाज के सभी लोगों ने उनका मंगल आगमन  बड़ी भक्ति और श्रद्धा के साथ स्वागत किया।

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