देहरादून। भगवान परशुराम क्षत्रीय विरोधी अथवा संहारक नहीं थे, वरन आतताई व आसुरी शक्तियो के विरोधी थे। उन्होंने आश्रम पद्धति के रक्षार्थ कुठार उठाया। उक्त विचार आज स्थानीय जैन धर्मशाला के सभागार में ब्राह्मण समाज महासंघ द्वारा आयोजित भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आचार्य पवन कुमार शास्त्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उनके आदर्श, सद्कर्म पर चलने की आवश्यकता है। वे सदैव आत्ताइयों से लड़े।
श्री शास्त्री ने ब्राह्मण समाज से अपील की कि संगठित रहें, एकता में ही ताकत है। महासंघ के संरक्षक एस पी पाठक ने कहा कि एकता होनी ही नहीं, बल्कि दिखनी भी चाहिए। सभी ब्राह्मण व ब्राह्मण संगठनों को एक बैनर के तले आना ही होगा। हमें परशुराम जी से प्रेरणा लेनी चाहिए। ई. ओपी वशिष्ठ जी ने कहा कि महासंघ को और सुदृढ़ करना चाहिए, ताकि हमारी आवाज बहरी सत्ता तक पहुंच सके। उत्तराखंड में 30 प्रतिशत ब्राह्मण होते हुए भी हम परशुराम जन्मोत्सव का अवकाश की घोषणा नहीं करवा सके हैं, एकता में बल है। इससे पूर्व महासंघ के विद्वान ब्राह्मणों द्वारा विश्व शांति के लिए मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महासंघ की ओर से विद्वान ब्राह्मण मनीषियों का माल्यार्पण, अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महासंघ के अध्यक्ष प्रमोद मेहता की, संचालन महामंत्री शशि शर्मा ने किया।
इस अवसर पर पूर्व प्रवक्ता डॉ. वी.डी. शर्मा, संगठन सचिव मन मोहन शर्मा, थानेश्वर उपाध्याय, उमाशंकर शर्मा, पंडित शशिकांत दूबे, राजेंद्र शर्मा, राजकुमार शर्मा, एस एन उपाध्याय, जे पी शर्मा, गौरव बक्शी, विद्वत सभा के अध्यक्ष ममगाई जी, सत्पथी जी, संजय दत्त, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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