देहरादून। सरस्वती विहार विकास समिति अजबपुर खुर्द देहरादून द्वारा रामलीला के आठवें दिन में हनुमान जी लंका से वापस सुंदर तट पर आकर जामवंत और अंगद को लेकर रामचंद्र जी के पास आ जाते हैं। हनुमान जी ने माता सीता की दी हुई चूड़ामणि को श्री रामचंद्र को दिया और कहा कि वह उन्हें लेने जल्दी आए लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र तट पर शिवलिंग की स्थापना करते हैं और पूजा के लिए लंका पति रावण को ही ब्रह्म रूप में बुलाते हैं, नल नील द्वारा समुद्र में पुल बनाया गया और सब ने लंका पर चढ़ाई कर दी, विभीषण ने रावण को समझने को कहा तो रावण ने विभीषण को घर से निकाल दिया विभीषण रामचंद्र की शरण में आ गए, रावण ने मेघनाथ को राम की सेना के साथ युद्ध करने के लिए भेजा मेघानाथ ने लक्ष्मण को ब्रह्मशक्ति से मूर्छित कर दिया। सुशांत वेध ने बताया कि मलयगिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी है अगर वह बूटी आ जाए तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। हनुमान जी वह बूटी लेकर आए और लक्ष्मण जी ठीक हो गए.आज कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ विजय धस्माना उनकी धर्मपत्नी डॉ रेनू धस्माना, निदेशक संस्कृति विभाग उत्तराखंड सुश्री बीना भट्ट जी, भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, अखिल गढ़वा सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, विमल उनियाल आये। इस अवसर पर बीना असवाल, कुसुम पटवाल, सुमन बिष्ट, शोभा सुंदरिलाल, सोनी नैथानी, बबीता पोखरियाल, सावित्री चैहान, मंजू सेमवाल, राखी रावत, सुमन नेगी, सरस्वती बिष्ट, कांता बिष्ट, निशा नैथानी उपस्थित रहे।
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