-पुस्तक की बताई कार्य योजना पर हुआ अमल तो 2030 तक खत्म हो सकती है बाल विवाह की बुराई
देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। देश में जहां हर साल लाखों नाबालिग बच्चियों को शादी का जोड़ा पहना दिया जाता है, वहां बाल विवाह से मुक्ति का सपना
दूर की कौड़ी लगना स्वाभाविक है। यूनीसेफ का अनुमान है कि भारत में बाल विवाह की दर यही रही जो पिछले दस साल से है तो 2050 तक
जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। मायूसी के इस हालात में भुवन ऋभु की किताब श्व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन
रू टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज 2030 तक भारत में बाल विवाह की दर 5.5 प्रतिशत तक लाने का एक समग्र रणनीतिक खाका पेश करती है। ये
संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी। बाल विवाह के
ि
खलाफ लड़ाई में लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक ठोस कार्य योजना और रणनीतिक खाका पेश करती भुवन ऋभु की किताब श्व्हेन चिल्ड्रेन हैव
चिल्ड्रेन’ का अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के देहरादून और नैनीताल में लोकार्पण किया गया। प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता
और महिलाओं एवं बच्चों के हकों की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले 160 गैर
सरकारी संगठनों के सलाहकार भी हैं।
इस किताब का लोकार्पण बाल विवाह पीड़ितों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों से जुड़े लोगों ने किया। लोकार्पण
के दौरान बाल विवाह पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि बाल विवाह की वजह से किस तरह उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड
़न, किशोरावस्था में गर्भवती होने और नवजात बच्चे की मौत जैसी कितनी ही असह्य पीड़ाओं का सामना करना पड़ा। श्व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’
नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में सबसे ज्यादा प्रभावित करीब 300 जिलों में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को 2030
तक हासिल करने और इस प्रकार हर साल 15 लाख लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल में फंसने से बचाने के प्रयासों में एक अहम हस्तक्षेप है।
किताब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है। यह श्पिकेटश् रणनीति के माध्यम से सरकार, समुदायों, गैर
सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों से नीतियों, निवेश, संम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थितिकी जहां बाल
विवाह फल-फूल नहीं पाए और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती
है।
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