देहरादून। वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग के तहत विस्तार प्रभाग, भा॰ वा॰ अ॰ शि॰ प॰ वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून द्वारा भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के लिए भूमि प्रबंधन में कृषि वानिकी की भूमिकाष् पर एक सप्ताह का अनिवार्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका आज विधिवत समापन हो गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को रूड़की के पास गुरुकुल नारसन में कृषि वानिकी से समृद्ध क्षेत्रों का भ्रमण कराया गया जहां प्रतिभागियों ने प्रगतिशील किसानों के साथ बातचीत की और व्यावसायिक स्तर पर पोपलर आधारित कृषि वानिकी के बारे में जाना। प्रशिक्षु किसानों के माध्यम से दोनों कृषि फसलों व पेड़ों के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए पेड़ों और कृषि फसलों के संयोजन के साथ तकनीकी खेती को जानकर आश्चर्यचकित थे, जो पेड़ों के नीचे की कृषि फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करता है।
डॉ. रेनू सिंह की अध्यक्षता में वन विभागों के कामकाज में सुधार-प्रशिक्षण और कौशल में सुधार के माध्यम से कैरियर विकास की आवश्यकता विषय पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। पैनलिस्टों में डॉ. जगमोहन शर्मा, आईएफएस और सुश्री ऋचा मिश्रा, आईएफएस शामिल थे। पैनलिस्टों और प्रतिभागियों ने अधिकारियों के करियर में प्रशिक्षण के महत्व पर बात की। निदेशक, भा॰ वा॰ अ॰ शि॰ प॰-वन अनुसंधान संस्थान ने सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित किये। प्रशिक्षण में भारतीय वन सेवा के कुल 12 अधिकारियों ने भाग लिया। ऋचा मिश्रा, प्रमुख, विस्तार प्रभाग और प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. चरण सिंह, वैज्ञानिक-एफ द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय किया गया था। रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-ई, सुश्री विजया रात्रे, सहायक वनसंवर्धनिक, श्री वेद पाल सिंह, वैज्ञानिक-डी किरण कुमार, तकनीकी अधिकारी और अन्य सदस्यों सहित टीम के सभी सदस्यों ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सराहनीय कार्य किया।
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