देहरादून। भारत की संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को अंगीकृत करने के उपलक्ष्य में तथा संस्थान के सभी कार्मिको को अपना पूरा सरकारी काम-काज मूलतः हिंदी भाषा में करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1 सितंबर 2023 को भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून में हिंदी चेतना मास (01-30 सितंबर) का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया।
इस समारोह में हिंदी भाषा के अनुभवी लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकारप्रो. असीम शुक्ल जीबतोर मुख्य अतिथि आमंत्रित थे। श्री शुक्ल ने अपने प्रगल्भपूर्ण वक्तव्य से सभी श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करने के साथ-साथ उन्हें हिंदी के प्रति निष्ठापूर्ण ढंग से काम करने के लिए प्रेरित किया। हिंदी दिवस पर अपना विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इंग्लेण्ड में न तो कोई अंग्रेजी दिवस मनाया जाता है और न ही किसी अन्य देश में कोई भाषा दिवस ,लेकिन भारत में हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा या हिंदी चेतना मास मनाया जाता है द्य इसका कदापि यह अर्थ नहीं कि सरकार का उदेश्य केवल उत्सव मनाना है बल्कि इसके पीछे सरकार का उदेश्य यह है कि हम अपनी भाषा से निर्मूल न हो बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहे क्योकि जो जडो से अलग हो जाता है वहउजड़ जाता है। हिंदी संत कवियों की कुटियों से आई है न कि राज दरबारों से, इसलिए हम कह सकते हैं कि हिंदी हमारे जीवन से अलग नहीं हो सकती है। हिंदी और भारतीय भाषाओँ के बीच पारस्परिक मेल-जोल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी इस भाषिक परम्परा के अग्रणी साहित्यकार रहें हैं जिन्होंने अवधी भाषा के माध्यम से पूरे भारत को जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु ने कहा कि भारत में 400 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं फिर भी हिंदी का स्थान इन भाषाओँ में विशिष्ट हैं क्योकि इसमें अन्य प्रादेशिक भाषाओँ के शब्दों और रूपों को समाहित करने हुए उतरोत्तर विकास करने का गुण अंतर्निहित है। उन्होंने संस्थान के सभी कार्मिको को अपना सरकारी कामकाज मूलतः हिंदी में करने का आह्वान किया। इस उद्घाटन समारोह में मुख्यालय तथा क्षेत्रीय अनुसंधान केंदों के लगभग 50 वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों नें भाग लिया। इस कार्यक्रम की संकल्पना, समन्वय और संचालन संस्थान के उप निदेशक (राजभाषा) आशुतोष कुमार तिवारी द्वारा किया गया।