देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। काणाताल उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यह टिहरी जिला मुख्यालय से 23 किमी और चंबा से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से आने वाले पर्यटक यहां से सीधे काणाताल पहुंच सकते हैं। शांत वादियां पर्यटकों को सुकून पहुचाने वाली हंै। इस पर्यटन स्थल की खाशियत यह है कि इसके आस-पास बांज व देवदार के घने जंगल हंै जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर कौड़ियों में पर्यटक माउंटेन बाइकिंग का भी लुत्फ उठाते हैं, जो अपने आप में रोमांच पैदा करता है। वहीं, स्काई साइकिलिंग का आनंद ले सकते हैं।
यहां का ईको पार्क व ईको हट्स भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। काणाताल में रुकने के लिए करीब 50 से 60 होटल और रिजार्ट हैं।
कानातल एक छोटा सा गाँव है जोकि चंबा और मसूरी के मार्ग पर स्थित है। कानातल टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित बहुत ही आकर्षक हिल स्टेशन है। कानातल में पहले एक झील थी जिसके नाम पर इस प्राचीन और आकर्षक गाँव का नाम रखा गया था। कानातल समुद्र तल से लगभग 8500 फीट की उंचाई पर स्थित है। आज की भाग-दौड़ वाली जिन्दगी में हर कोई एकांत में शांति चाहता है ताकि वो प्रकृति के साथ कुछ समय बिता सके। कानातल की पहाड़ियां, यहाँ फूलों के बाग, सेब के पेड़ और हरे-भरे जंगल कानातल में पर्यटकों को बहुत ज्यादा पसंद आते हैं। काणातल बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है जहाँ घूमने के बाद आप बार-बार यहाँ आना पसंद करेंगे। काणातल में और भी कई ऐसे स्थान है जहाँ कि यात्रा करके आपका सफर यादगार बन जायेगा। मसूरी काणातल से लगभग 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। काणाताल बहुत ही आकर्षक और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। रैपलिंग और रॉक क्लाइम्बिंग कानाताल के पहाड़ी और चट्टानी क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय खेल है। यही कारण है कि यह क्षेत्र शहरी लोगों को बहुत बड़ी संख्या में अपनी और आकर्षित करता है। ऐसे साहसिक खेलों से एक अलग ही अनुभव मिलता है। कानाताल में हरे-भरे खेतों में वनस्पतियों के बीच खुले आसमान के नीचे कैम्पिंग करने का अपना अलग ही मजा है। इसके अलावा शिविरों में बहुत सारे गेम खेल सकते हैं और कई प्रकार की साहसिक गतिविधियाँ भी कर सकते हैं। वैली क्रॉसिंग कानाताल की सबसे शानदार गतिविधियों में से एक है जिसमें रस्सी से बंध कर घाटी को पार करना होता है। काणाताल का मनोरम सौंदर्य और आकर्षण बस विस्मयकारी है। ऐसा माना जाता है कि काणाताल का नाम एक प्राचीन झील के नाम पर रखा गया है जो इस भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद थी। उत्तराखंड के इस लोकप्रिय यात्रा गंतव्य में शांति और मौन सुंदरता के अलावा फलों के पेड़ और सेब के बगीचे भी मिलेंगे।
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