देहरादून। वन पारितंत्र की उच्च कार्बन पृथक्करण क्षमता के कारण वन पारितंत्रों पर कार्बन एक्सचेंज की नियमित निगरानी, जलवायु संबंधी नीति निर्णय की कुंजी है। भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और भारत में वन कार्बन आकलन की पहलों पर किए जा रहे कार्यों की चर्चा संबंधित देशों के प्रतिनिधि वक्ताओं द्वारा की गई। भा.वा.अ.शि.प. की सक्रिय सहयोग से भारत में घरेलू वन कार्बन बाजार विकसित करने की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया। कंबोडिया, मलेशिया, फिलीपींस और भारत में कार्बन निगरानी के संदर्भ में, जापान के वक्ता ने जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भू-स्थानिक डेटा और उन्नत मशीन लर्निंग की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो पेरिस समझौते के बेहतर कार्यान्वयन और रेड्ड़ आकलन के लिए वन प्रबंधन पद्धतियों के लिए नीति निर्माताओं की मदद करेगा।
कार्बन प्रवाह को मापने के लिए, एड्डी कोवैरियेंस फ्लक्स टावर प्रमुख भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान द्वारा भारत के नौ अलग-अलग स्थानों में फ्लक्स टावर स्थापित किए गए हैं, जबकि भा.वा.अ.शि.प. द्वारा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दो टावर स्थापित किए गए हैं। इसी तरह, सारावाक, मलेशिया में एशिया फ्लक्स नेटवर्क ने पीटलैंड्स (एक अद्वितीय आर्द्रभूमि पारितंत्र) कार्बन संतुलन के साथ-साथ कार्बन पृथक्करण के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान की है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौते के तहत, ग्रीन क्लाइमेट फंड पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए धन प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ग्रीन क्लाइमेट फंड ने वर्तमान में दुनिया भर में 200 से अधिक परियोजनाओं में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के बजट को मंजूरी दी है, जिनमें से 84 वानिकी क्षेत्र में हैं। दक्षिण कोरिया के वक्ता द्वारा जलवायु वित्त और न्यूनीकरण तथा अनुकूलन पर प्रभाव की निगरानी में संबंधित चुनौतियों से निपटने में ग्रीन क्लाइमेट फंड की भूमिका पर चर्चा की गई।
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पारितंत्र सेवाएँ सुधार परियोजना के माध्यम से भा.वा.अ.शि.प. भूमि क्षरण के मुद्दों को दूर करने और पारितंत्र सेवाओं में सुधार के लिए स्लेम पद्धतियों के माध्यम से ग्रीन इंडिया मिशन और स्पथ्म् मिशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों, जैव विविधता और कार्बन स्टॉक के बेहतर प्रबंधन के लिए पारितंत्र सेवाएं सुधार परियोजना के माध्यम से पेश किए गए नए उपकरण और प्रौद्योगिकियों से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लगभग 25,000 वनवासियों, छोटे भूमिधारकों और सीमांत किसानों को सीधा लाभ हुआ है। भा.वा.अ.शि.प. ने भारत में सतत भूमि और पारितंत्र प्रबंधन की संस्थागत और नीतिगत मुख्यधारा के लिए एक रोडमैप विकसित किया है और भूमि क्षरण एवं मरुस्थलीकरण और स्लेम सर्वोत्तम पद्धतियों को बढ़ाने और मुख्यधारा में लाने के लिए एक ऑनलाइन राष्ट्रीय रिपोर्टिंग पोर्टल श्स्लेम नॉलेज शेयरिंग एंड रिपोर्टिंग सिस्टम विकसित किया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बंजर भूमि की बहाली की सफलता की कहानियां भी संबंधित राज्य वन विभागों द्वारा प्रस्तुत की गईं। खाद्य एवं कृषि संगठन के प्रतिनिधि ने संगठन के ज्ञान साझा करने के निर्देशों के अनुसार एफएओ द्वारा समर्थित वन और परिदृश्य बहाली हेतु क्षमता निर्माण के बारे में विस्तार से बताया। भा.वा.अ.शि.प. के महानिदेशक की अध्यक्षता में अंतिम सत्र के दौरान विशेषज्ञों के पैनल द्वारा विभिन्न सत्रों से प्राप्त सिफारिशों पर चर्चा की गई।
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