विजय वात्सल्य हत्या के मामले की एसआईटी या स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जांचः डॉ. त्रिपाठी

देहरादून। बीते वर्ष दिसंबर माह में हुई विजय कुमार वात्सल्य की हत्या के मामले की भले ही अब कुछ दिन पूर्व भारी भरकम दबाव पड़ने के बाद थाना राजपुर में मामले की एफआईआर दर्ज हो चुकी हैए लेकिन मामले की जांच पूरी तरह से लचर होने को लेकर आज पीड़ित पिता प्रमोद कुमार वात्सल्य ने एक पूर्व रिटायर्ड पुलिस अधिकारी तथा मीडिया और सेटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष डा. अशोक त्रिपाठी के साथ  मीडिया से मुखातिब होते हुए प्रदेश की पुलिस व्यवस्था व जांच कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों के सम्मुख मृतक विजय वात्सल्य के पीड़ित वृद्ध पिता प्रमोद वात्सल्य के दर.दर भटकने के मामले पर गहरा दुख जताते तथा मामले को काफी गंभीर बताते हुए डाक्टर अशोक त्रिपाठी ने कहा कि आज यह बड़े दुख का विषय है कि शासन तंत्र में अब जो सेवक होते थेए आज वे पूरी तरह से शासक होकर कर बैठ गए हैं प् जिस प्रकार से विजय कुमार वात्सल्य की हत्या करके मामले को दबाए जाने का प्रयास किया गया उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आखिर विजय की हत्या करने वाले अपराधिक प्रवृत्ति के लोग कितने प्रभावशाली होंगे। मृतक के पिता प्रमोद वात्सल्य ने दुख जताते हुए कहा कि जिन लोगों ने मिलकर विजय वात्सल्य की हत्या की है और उसका षड्यंत्र रचा है वे वास्तव में बहुत ज्यादा प्रभावशाली तो है हीए साथ ही वे लोग एक सिंडिकेट तथा अपराध जगत के माफिया भी हैए जिनको संरक्षण मिलता आ रहा है। यूकेडी प्रवक्ता अनुपम खत्री ने पत्रकारों के सम्मुख कहा कि यह बड़े ही दुख का विषय है कि 302 जैसी धारा लगने के बाद भी मामले में कोई भी गिरफ्तारी नहीं की गई है प् ऐसे में पुलिस व्यवस्था पर निश्चित रूप से सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है। उत्तराखंड क्रांति दल महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईस्टवाल ने पत्रकारों के समक्ष पीड़ित प्रमोद कुमार वात्सल्य के साथ हो रही अन्याय एवं कष्टदायक मामले को रखते हुए यह भी कहा कि राज्य व केंद्र सरकार अपनी व्यवस्था और ब्यूरोक्रेसी के दायित्व को पूर्ण कराने की व्यवस्था कराना सुनिश्चित करेए न कि पीड़ितों को और पीड़ित करवाएंघ् उन्होंने कहा कि विजय कुमार वात्सल्य की हत्या के मामले की रिपोर्ट दर्ज होने के कई दिन बाद भी दोषियों अथवा आरोपियों की गिरफ्तारी न होना कई संदिग्ध सवालों को खड़ा कर रहा है। प्रेस वार्ता का संचालन करते हुए रामकुमार अत्री ने कहा कि प्रदेश के डीजीपी को चाहिए कि अब वे स्वयं आगे आकर हत्या के इस मामले में एसआईटी या फिर स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएंए ताकि सच्चाई निकलकर सामने आ सके प् उन्होंने कहा कि हत्या के मामले में जांचकर्ता का दायित्व पूरा होने के बाद वास्तव में अब तक चार्ज शीट आरोपियों के खिलाफ तैयार हो जानी चाहिए थी मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने 1861 की धारा का हवाला भी दिया प् उन्होंने इस बात पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि दरअसलए हत्या के इस मामले में ब्यूरोक्रेसी का जो सपोर्ट मिलना चाहिए थाए वह नहीं मिल पाया है। अपने वीडियो संदेश के माध्यम से कमल टावरी व स्वामी कमलानंद जी महाराज पूर्व आईएएस गृह मंत्रालयए भारत सरकार ने कहा कि इसमें शासन प्रशासन की असंवेदनशीलता दिखाई पड़ती है।  शासन प्रशासन को यह सोचना चाहिए कि  84 साल का  बुड्ढा व्यक्ति किस तरह से अपने बेटे की मौत  के इंसाफ के लिए दरबदर भटक रहा है।  सत्ता और शासन में  ऊपर बैठे लोगों को यह सोचना चाहिए कि  पुलिस और प्रशासन की जनता के प्रति जिम्मेदारी किस तरह से तय करनी है।

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