प्रेसक्लब के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से की भेंट, 11 सूत्री सुझाव पत्र सौंपा

देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उनके शिविर कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें हालिया घटनाक्रमों के संदर्भ में राज्यहित से जुड़े विभिन्न विषयों पर 11 सूत्री सुझाव पत्र भंेट किया। मुख्यमंत्री ने सुझाव पत्र पर गंभीरता के साथ प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और इसके ज्यादातर बिंदुओं के प्रति सहमति जताते हुए समुचित कदम उठाने का आश्वासन दिया। प्रेस क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल की अगुआई में मिले प्रतिनिधिमंडल में पूर्व अध्यक्ष नवीन थलेड़ी, महामंत्री ओपी बेंजवाल, संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती व क्लब कार्यालय प्रभारी सुबोध भट्ट शामिल रहे।
 प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को विभिन्न मामलों में संवेदनशीलता के साथ उठाए गए त्वरित कदमों के लिए साधुवाद दिया और अपेक्षा की कि यह गति, तत्परता व संवेदनशीता आगे भी बनी रहेगी। सुझाव पत्र में अंकिता भंडारी हत्याकांड से उत्तराखंडी जनमानस में उपजे तमाम सवालों और आशंकाओं का समुचित समाधान करने के साथ ही इस घटनाक्रम में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शामिल सभी दोषियों को चिह्नित कर अतिशीघ्र दंडित कराने पर जोर दिया गया। अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए पर्यटन विकास की संपूूर्ण नीति की व्यापक समीक्षा करते हुए इसे प्रदेश के सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के अनुकूल बनाने, रिजॉर्ट, स्पा सेंटर्स, होटल्स आदि की स्थान और परिस्थितियों के अनुरूप संख्या निर्धारित करने और इसमें स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही तीर्थस्थलों की शांति व प्राकृतिक स्वरूप से विकास, हेली सेवा या रोप-वे सेवा के नाम पर छेड़छाड़ बंद करने की अपेक्षा की गई। उत्तराखंड में फैशन शो, डांस शो, तथाकथित टेलेंट हंट, म्युजिक एलबम व सिनेमा में काम दिलाने का सब्जबाग दिखाने वाले आयोजनों की प्रभावी मॉनीटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में बिचौलिया मुक्त पारदर्शी रोजगार नीति बनाने, रोजगार घोटालों का गहराई के साथ पर्दाफाश करने, प्रश्न पत्र तैयार करने व उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का कार्य निजी एजेंसियों के बजाय राज्य के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों को देने, प्राथमिक व जूनियर स्तर तक पढ़ाई में राज्य की बोली-भाषा, साहित्य-संस्कृति, विशिष्ट व्यक्तित्वों व परिवेश से संबंधित जानकारी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने, प्रत्येक भर्ती परीक्षा में राज्य से संबंधित 50 फीसदी प्रश्न शामिल करने, उत्तराखंडी ं महिलाओं के लिए सरकारी भर्ती में 30 फीसदी आरक्षण और राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को बहाल कराने के लिए अध्यादेश/अधिनियम आदि कानूनी औपचारिकताएं तत्काल पूरी करने, उद्योगों में 70 फीसदी और सभी निजी प्रतिष्ठानों में कुल स्टॉॅफ का 50 फीसदी उत्तराखंड मूल के युवाओं को रखा जाना अनिवार्य करने, सभी सवारी वाहनों के परमिट, फड़-ठेली बाजार आदि में 50 फीसदी लाइसेंस भी उत्तराखंडी युवाओं के लिए सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया।
सुझाव पत्र में उत्तराखंड में जमीनों के ‘भक्षण’ और तेजी से हो रहे डेमोग्राफिक चेंज को रोकने के लिए हिमाचल की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश के अनुच्छेद-371 की तरह सख्त व्यवस्था व भू-कानून और 1970 से पूर्व की स्थिति को आधार मानते हुए स्थायी के बजाय मूल निवास प्रमाण पत्र सभी सेवाओं के लिए अनिवार्य करने पर भी जोर दिया गया। प्रेस क्लब ने पर्वतीय क्षेत्र में आपदा के कारणों का व्यापक अध्ययन कराने के साथ ही इन्हें कम करने के लिए स्थानीय लोगों के सुझावों-अनुभवों को शामिल करते हुए प्रभावी दीर्घकालिक नीति बनाने, पहाड़ी मार्गों पर सड़क हादसे रोकने के लिए सड़कों के किनारे और ढलानों पर वृक्षों की कई लेयर की ‘दीवार’ सघन पौधरोपण के जरिए तैयार करने, गुलदारों की संख्या में कमी लाने और इन्हें आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के उपाय करने पर भी जोर दिया। पलायन रोकने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार, बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाओं, सरकारी दफ्तरों व उद्योगों के साथ नगरीय संरचनाओं का विकास करने, जिलों का पुनर्गठन करते हुए नए जनपदों का सृजन करने, मुजफ्फरनगर कांड केे दोषियों को दंडित कराने के लिए इससे संबंधित मुकदमों की नियमित निगरानी के लिए किसी वरिष्ठ मंत्री की अध्यक्षता में मुकदमों में शामिल अधिवक्ताओं व कुछ अन्य विधिवेत्ताओं को शामिल करते हुए मॉनीटरिंग कमेटी बनाने, भविष्य में होने वाले परिसीमन में पहाड़ के हितों को प्रभावित होने से बचाने के लिए विषेशज्ञों से विचार-विमर्श करते हुए ठोस पहल करने का भी सुझाव दिया गया।
उत्तरांचल प्रेस क्लब ने राजधानी देहरादून में यहां की पहचान रही हरियाली और हेरिटेज को येन-केन प्रकारेण समाप्त किए जाने पर गंभीर चिंता जताते हुए सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर हो रहे पेड़ों के कटान और ऐतिहासिक महत्व के भवनों के ध्वस्तीकरण पर तत्काल रोक लगाने पर जोर दिया। नदी, नाले-खालों पर बेतहाशा अवैध कब्जों को रोकने के लिए इनकी न्यूनतम चौड़ाई तय करते हुए इनके दोनों किनारों पर एक निश्चित दूरी तक हर तरह के निर्माण पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के साथ ही दूनघाटी में बिल्डिंगों की अधिकतम ऊंचाई 7 और 10 के बजाय 5 मंजिल तक सीमित करने और प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर कडा़ई से रोक लगाने का भी सुझाव दिया।

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