आओ जानते हैं भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ?

राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता हैद्य किसी उम्मीदवार को, इस चुनाव में निर्वाचित होने के लिए कुल मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना होता हैद्य राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष मतदान से नही करती है बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा इसका निर्वाचन किया जाता है।
भारत का राष्ट्रपति, देश का प्रथम नागरिक होने के साथ साथ तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भी होता है। भारत विदेश में जितने भी समझौते करता है वे सभी राष्ट्रपति के नाम से ही किये जाते हैं। भारतीय संविधान के भाग ट के अनुच्छेद 52 से 58 तक संघ की कार्यपालिका का वर्णन है। संघ की कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा महान्यायवादी शामिल होते हैं।
राष्ट्रपति के पद हेतु अहर्ताएं

  1. भारत का नागरिक हो
  2. 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
  3. लोक सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो
  4. किसी भी लाभ के पद पर न हो
    इसके अतिरिक्त चुनाव के नामांकन के लिए कम से कम 50 लोगों ने उसके नाम का प्रस्ताव रखा हो और इतने ही लोगों ने अनुमोदन किया हो।
    राष्ट्रपति के पद की अवधि, पद धारण की तारीख से 5 साल तक होती है, हालांकि वह इससे पहले भी कभी भी उपराष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र दे सकता है।
    राष्ट्रपति के निर्वाचन में कौन-कौन वोट डालता है
    राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है। किसी उम्मीदवार को, इस चुनाव में निर्वाचित होने के लिए कुल मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना होता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष मतदान से नही करती है बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा इसका निर्वाचन किया जाता है। इस चुनाव में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इसमें सभी राज्यों का सामान प्रतिनिधित्व होद्य इस निर्वाचन में निम्न लोग वोट डालते हैं।
  5. लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य नहीं)
  6. राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य

भारत में राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च नागरिक होते हैं. इस वक्त देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. इनका कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. इससे पहले नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जानी है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और मतगणना 21 जुलाई को होगी.  इस प्रकार 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नए राष्‍ट्रपति को शपथ दिलाएंगे. भारत में राष्‍ट्रपति पद के लिए अप्रत्‍यक्ष निर्वाचन होता है. भारत में राष्‍ट्रपति का चुनाव जनता सीधे नहीं करती, बल्कि जनता के वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं. इसके संसद के नामित सदस्‍य और विधान परिषदों के सदस्य हिस्‍सा नहीं लेते क्‍योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है. इसका मतलब ये है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है. देश की जनता राष्ट्रपति का चुनाव सीधे खुद नहीं करती बल्कि उसके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं. इसे ही अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहते हैं. इस प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार चुने हुए विधायक और सांसदों के पास होता है. राष्ट्रपति चुनाव में संसद में नामित सदस्य और विधान परिषदों के सदस्य वोट नहीं डाल सकते हैं, क्योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है. इसका मतलब ये है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है. देश की जनता राष्ट्रपति का चुनाव सीधे खुद नहीं करती बल्कि उसके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं. इसे ही अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहते हैं. इस प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार चुने हुए विधायक और सांसदों के पास होता है. राष्ट्रपति चुनाव में संसद में नामित सदस्य और विधान परिषदों के सदस्य वोट नहीं डाल सकते हैं, क्योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं.अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य रूप भारत का नागरिक होना चाहिए. 35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए. लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए. इसके साथ ही भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए. 
योग्‍यता के बाद दूसरा चरण है नामांकन. राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करना होता है. राष्ट्रपति पद के लिए15000 रुपये से अधिक जमा करने होते हैं और 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की एक हस्ताक्षर की हुई सूची जमा करनी होती है. प्रस्तावक और समर्थक राष्ट्रपति चुनाव 2022 में मतदान करने के योग्य निर्वाचकों में से कोई भी हो सकता है. हालांकि नियम के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने योग्य व्यक्ति केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव या समर्थन कर सकता है.

सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग: राष्‍ट्रपति चुनाव में हिस्‍सा लेने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है. दो अलग-अलग राज्‍यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है. वेटेज के लिए राज्‍य की आबादी मुख्‍य मानक होता है. इसके बाद राज्‍य की जनसंख्‍या को चुने हुए विधायक की संख्‍या से बांटा जाता है और फिर उसे 1000 से भाग दिया जाता है. इसके बाद जो अंक मिलता है, वह उस राज्‍य के वोट का वेटेज होता है. कैसे तय होगी वोट की वैल्यू: राष्ट्रपति के चुनाव में सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट देते हैं. इस बार चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य होंगे. इनमें राज्य सभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य होंगे. राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट की एक वैल्यू होती है. इस बार हर संसद सदस्य के वोट की कीमत 700 तय की गई है. इसके अलावा विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से एक फॉर्मूले के निकाली जाती है.
विधायकों के वोट की कैसे तय होती है वैल्यू: हर राज्य की जनसंख्या और उनकी विधायसभा में सदस्यों की संख्या के हिसाब से उस राज्य में एक विधायक के वोट की वैल्यू तय की जाती है. इस बार यूपी के विधायकों के वोट का वेटेज 208 होगा, जबकि मिजोरम में 8 और तमिलनाडु में 176 होगा. राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोटों का कुल वेटेज 5,43,231 होगा. वहीं संसद के सदस्यों के वोटों का वेटेज 543,200 है. कुल मिलाकर इस साल सभी सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है.सांसदों को हरे और विधायक को मिलता है गुलाबी मतपत्र: सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है. उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए करते हैं. राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और वोटर अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखकर वोट देता है. ये अंक लिखने के लिए चुनाव आयोग पेन उपलब्‍ध कराता है. यदि यह अंक किसी अन्‍य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्‍य हो जाता है. वोटर चाहे तो केवल पहली वरीयता ही अंकित कर सकता है, सभी उम्‍मीदवारों को वरीयता देना जरूरी नहीं होता है.क्या दोबारा राष्ट्रपति बन सकते हैंक्या एक बार राष्ट्रपति बनने के बाद दोबारा राष्ट्रपति बन सकते हैं? संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा जा सकता है. वहीं एक और सवाल लोगों के मन में उठता है कि क्या राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद क्या उनका राजनीतिक जीवन खत्म हो जाता है. राजनीतिक जीवन समाप्त होने का कोई सवाल नहीं उठता है. वो चाहे तो किसी भी तरह से राजनीतिक जीवन में रह सकते हैं. लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद स्वाभाविक है कि वो सांसद या विधायक या राज्यपाल बनना पसंद नहीं करेंगे. क्योंकि ये सब तो राष्ट्रपति के नीचे के पद हैं.
राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है. इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है. इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं. फिर सदन उस पर विचार करता है. अगर दो-तिहाई सदस्य उसे मान लें तो फिर वो दूसरे सदन में जाएगा. दूसरा सदन उसकी जांच करेगा और उसके बाद दो-तिहाई समर्थन से वो भी पास कर देता है तो फिर राष्ट्रपति को पद से हटा हुआ माना जाएगा.

भारत के अब तक के राष्ट्रपति

  1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
  2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
  3. डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1897-1969)
  4. वराहगिरी वेंकट गिरी (1894-1980)
  5. डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (1905-1977)
  6. निलम संजीव रेड्डी (1913-1996)
  7. ज्ञानी जैल सिंह (1916-1994)
  8. आर वेंकटरमन (1910-2009)
  9. डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918-1999)
  10. के आर नारायनन (1920 – 2005)
  11. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015)
  12. प्रतिभादेवी सिंह पाटिल (1934-)
  13. प्रणब मुखर्जी (1935-2020)
  14. रामनाथ कोविंद (1945-)