समय से पहले खिला राज्य पुष्प ब्रहमकमल

देहरादून। हेमकुंड साहिब क्षेत्र में इस साल राज्य पुष्प ब्रह्रमकमल समय से पहले ही खिल गए हैं। ब्रह्रमकमल जुलाई अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त में ही खिलते हैं। लेकिन इस साल ब्रह्रमकमल जुलाई में पहले ही सप्ताह में खिल गए हैं। वैज्ञानिक इसे सही संकेत नहीं मान रहे हैं। जिसे क्लामेट चेंज होने के कारण क्लामेट शिफ्ट होना बताया जा रहा है। ब्रह्रमकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। जो कि धार्मिक और औषघ्धीय गुणों से भरपूर है।

ब्रह्म कमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। जो कि श्हिमालयी फूलों के राजाश् के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्म कमल को पिंडारी से लेकर चिफला, रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ में भी इस फूल को देख सकते हैं। जो कि 3500 मीटर से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।इसकी औषधीय से ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है। हिंदू मान्यता है किइसे देखना शुभ भी माना जाता है। ब्रह्मकमल का अर्थ ही है श्ब्रह्मा का कमलश् कहते हैं और उनके नाम ही इसका नाम रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि केवल भाग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है। फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है। इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है। वैज्ञानिकों ने भी इस फूल के कई औषधीय लाभ बताए हैं। ब्रह्म कमल के खांसी और सर्दी के इलाज से लेकर यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तक कई अद्भुत औषधीय लाभ हैं। ब्रह्म कमल दिखने में भले ही आकर्षक हो लेकिन इसकी गंध बहुत तेज और कड़वी होती है। यह एक एक्सीलेंट लिवर टॉनिक है। यह लिवर पर फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार, ब्रह्म कमल फूल बैक्टीरिया के चार स्ट्रेन और फंगस के तीन स्ट्रेन के खिलाफ रोगाणुरोधी गुण रखता है। ब्रह्म कमल में ज्वरनाशक गुण होते हैं। कई अध्ययनों में बुखार के इलाज में ब्रह्म फूल के पारंपरिक उपयोग का जिक्र किया गया है, इसका काढ़ा दिन में दो बार पीने से फीवर में राहत मिलती है।

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