ब्रह्माण्ड में करोड़ों ग्रह हैं, लेकिन अभी तक ज्ञात ग्रहों में से केवल पृथ्वी पर ही जीवन का पता चल पाया है। वैज्ञानिकों की खोज से पता चल पाया कि यहां इसलिए जीवन उत्पन्न हो पाया क्योंकि यहां पर पर्यावरण है अर्थात यहां पर जमीन है पर्वत हैं पेड़ पौधे हैं पवन है, पानी है, खूबसूरत मौसम हैं जो पर्यावरण के मूल आधार हैं, जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। इसी कारण प्रथ्वी का इतना सुंदर रूप हमें देखने को मिलता है। यह तो सभी को पता है कि प्राचीनकाल से जिस सभ्यता संस्कृति के जन्म लेने की बात हम करते हैं वो जीवन के साथ नदियों तालाबों झीलों के तट पर विकसित हुई। इन्हीं चीजों के कारण पृथ्वी पर इतना सुंदर पर्यावरण हमें मिलता है इतना सुंदर जीवन हमें देखने को मिलता है। गत सत्तर वर्षों में विकास उन्नति महत्वाकांछा के नाम पर विश्व या हमारे देश के पर्यावरण में,चाहे प्राकृतिक पर्यावरण हो या मानवीय पर्यावरण हो सभी में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिला है। मानवीय मानसिक पर्यावरण के प्रदूषित होने से स्वाभाविक था प्राकृतिक पर्यावरण को गम्भीर छति पहुँचती और वही हुआ। अपनी यूरोपीय देशों की यात्रा में मैंने पाया वहां का पर्यावरण बेहद साफ सुथरा सुंदर खूबसूरत है। क्योंकि पर्यावरण के प्रति वहां की सरकार वहां के नागरिक बहुत जागरूक रहते हैं। एक विश्व स्तरीय अध्यन से पता चला कनाडा में प्रति व्यक्ति के पीछे आठ हजार नो सौ सत्तर वृक्ष हैं, रूस में प्रति व्यक्ति के पीछे चार हजार चार सौ बासठ वृक्ष जीवन हैं, अमेरिका में प्रति व्यक्ति के पीछे सात सौ सोलह वृक्ष हैं,चीन में प्रति व्यक्ति के पीछे एक सौ दो वृक्ष हैं वहीं भारत की स्तिथि वृक्षों की दृष्ट से पर्यावरण के मामले में बहुत चिंतित हो जाती है यह देखकर की हमारे यहां प्रति व्यक्ति के पीछे मात्र अट्ठाइस वृक्ष हैं, तो फिर कैसे हमारा पर्यावरण साफ सुथरा सुंदर हो पाएगा क्योंकि वृक्ष ही जीवन दाई वायु हम देते हैं।
आज सारी मिलों कारखानों, बरसाती नालों,गली मोहल्लों की गंदगी हमारी नदियों में जाती है जिससे सारी नदियां प्रदूषित हो रही हैं जबकि करोड़ों रुपए इनको स्वच्छ बनाए रखने पर खर्च हो रहे हैं। लाखों वाहनों से कारखानों की चिमनियों से निकल रही प्रदूषित जहरीली वायु वातावरण को चिंतनीय बना रही है।
इस पृथ्वी के लिए ग्रंथों में कहा गया ”क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, पंच तत्व रहित अधम शरीरा।” इनका दोहन कर शोषण कर हम पृथ्वी पर जीवन के सुरक्षित रखने की कल्पना भी नही कर सकते। खैर अब भी समय है बीती ताही बिसारिये….। नये सिरे से हम, मनुष्य को, मानव जीवन को, पर्यावरण को, पृथ्वी को बचाने के लिए आगे आयें। सभी को छात्र छात्राओं को आम आदमी को, हर नागरिक को शपथ लेनी चाहिये कि वृक्ष नही काटेंगे, पेड़ पौधों को हानि नही पहुँचायेंगे। नदियों, तालाबों, कुंडों, कुओं को प्रदूषित नहीं करेंगे, उनमें गंदगी प्रवाहित नहीं करेंगे। अपनी गली, सड़क, गॉव, मुहल्ले, नगर, शहर को गंदगी का अडडा बना कर प्रदूषण नहीं फैलायेंगे। सड़कों पर अपने वाहन यातातात नियमों के अनुसार चलायेंगे, व्यर्थ में हार्न का शोर पैदा कर ध्वनि प्रदूषण नही फैलायेंगे। हर व्यक्ति हर त्योहार के अवसर पर, तथा जन्म-मृत्यु के अवसर पर अपने प्रियजनों की स्मृति में वृक्ष लगायेगा। अपनी ताशकंद, समरकंद थाईलैंड, वियतनाम, कम्बोडिया की यात्रा के दौरान मैंने वहॉ के लोगों को पर्यावरण के प्रति बहुत जागरूक पाया। उनके शहर सुंदर और प्रदूषण मुक्त सुंदर शुद्व पर्यावरण से भरपूर सिर्फ इस कारण थे क्योंकि वहॉ के लोग स्वयं पर्यावरण के प्रति बहुत जागरूक थे और किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलाते थे। पृथ्वी के अन्दर से निरन्तर अधिक से अधिक खनिज पदार्थो, कोयले के लिए गहरी माईंस का निर्माण, गैस, तेल के कुओं की खुदाई जैसे कार्यों से पृथ्वी के निरन्तर शोषण और दोहन से भूगर्भीय चटटानों के कमजोर होने से पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं, भूकंप, बाढ़, सुनामी जैसे आपदाओं मे व्यापक संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। निःसंदेह पर्यावरण और पृथ्वी की यह हानि, मनुष्य के कारण ही हुई है। आसपास का वातावरण पर्यावरण काफी शुद पर्यावरण साफ सुंदर शुद्व, निर्मल हो यह सरकार का नही हर नागरिक का कर्तव्य है। यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिये कि अच्छे, स्वस्थ, संदर, सुखमय जीवन कि लिए और उसको सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण की सुंदरता, शुद्धता, सुरक्षा पहली शर्त है। इस पर्व की सार्थकता तभी है जब हर व्यक्ति पर्यावरण को छति पहुॅंचाने के विपरीत उसे स्वच्छ रखने की शपथ लें। यह भी कटु सत्य है जिस दिन से हम अपने मानसिक पर्यावरण में सुधार करना प्रारंभ करना शुरू कर लेंगे मंच पर पर्यावरण पर भाषण देने, अखबारों में अपनी फोटो प्रकाशित करवाने के विपरीत गंभीरता से पर्यावरण के लिए कार्य करेंगे उस दिन से पर्यावरण में अपने आप सुधार होना प्रारंभ हो जायेगा।
-हेमचन्द्र सकलानी (लेखक एवं साहित्यकार) विकासनगर।
431 total views, 3 views today