-डोली यात्रा संयोजक पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने घोषित किया यात्रा कार्यक्रम
-प्रदेश में साढ़े दस हजार किलोमीटर की यात्रा तय करेगी जगदीशिला डोली यात्रा
देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। देवभूमि उत्तराखंड में 1000 धाम स्थापित करने व विश्व शांति के उद्देश्य से 23वीं बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथयात्रा 11 मई से शुरु होने जा रही है। यह यात्रा 30 दिन की होगी। डोली रथ यात्रा का कार्यक्रम शनिवार को देहरादून में डोली यात्रा संयोजक पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी द्वारा घोषित किया गया है। डोली रथ यात्रा 10 मई को विशोन पर्वत टिहरी से हरिद्वार पहुंचेगी। 11 मई को हरिद्वार में हरि की पौड़ी पर गंगा स्नान के बाद डोली रथ यात्रा का शुभारंभ होगा। इस यात्रा के माध्यम से प्रदेश में साढ़े दस हजार किलोमीटर की यात्रा तय की जाएगी। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि पूर्व में यात्रा के दौरान जो 141 स्थान चयनित हो चुके हैं उन्हें तीर्थाटन सर्किट में शामिल किया जाए। देहरादून में आयोजित पत्रकार वार्ता में यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि डोली यात्रा विगत वर्ष जिन स्थानों पर जा चुकी है उन स्थानों पर इस समय नहीं जाएगी। यात्रा नए स्थानों पर जाएगी। 11 मई को हरिद्वार में हरि की पौड़ी पर गंगा स्नान के बाद डोली रथ यात्रा का शुभारंभ होगा। 12 मई को डोली रथयात्रा देहरादून पहुंचेगी। नगर निगम के टाउन हाल में लोग डोली के दर्शन करेंगे। इस मौके पर देवभूमि प्राथमिक संस्कृत विद्यालय के बच्चों द्वारा स्वस्तीवाचन किया जाएगा। डोली का रात्रि विश्राम यात्रा संयोजक पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के निवास नंदा विहार नवादा में होगा। 13 मई को डोली रथयात्रा नवादा से लख्सियार स्थित महासू मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। यात्रा सुद्धोवाला, झाझरा, सेलाकुई, सहसपुर, हर्बटपुर, विकासनगर, बाड़वाला, कालसी, लखवाड़ होते हुए लक्सियार महासू मंदिर पहेुचेगी, रात्रि विश्राम वहीं होगा। 14 मई को डोली रथयात्रा लक्सियार से सेरकुरिया देवता मंदिर रायगी के लिए प्रस्थान करेगी। 15 मई को यात्रा रायगी से शिकारू नाग मंदिर चंदेली के लिए प्रस्थान करेगी। 16 मई को यात्रा नागराजा मंदिर क्यारी थौलधार के लिए प्रस्थान करेगी। 17 मई को यात्रा चंबा के लिए प्रस्थान करेगी। 18 मई को डोली यात्रा चंबा से पुनाणू शिवालय के लिए प्रस्थान करेगी। 19 मई करे यात्रा पलेठी बनगढ़ के लिए प्रस्थान करेगी। 20 मई को यात्रा बनगढ़ से कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर गढ़वाल पहुंचेगी। 21 मई डोली यात्रा बड़ागांव जोशीमठ के लिए रवाना होगी। 22 मई को यात्रा कुरुड़ मां चंदा मंदिर चमोली पहुंचेगी। 23 मई को डोली यात्रा धुनारधार गांवली पहुंचेगी। 24 मई को डोली यात्रा लाटू देवता मंदिर चमोली के लिए प्रस्थान करेगी। 25 मई को यात्रा वाण गांव से चमोली के भराड़ी बाराही पहुंचेगी। 26 मई को यात्रा सतगढ़ पहुंचेगी। 27 मई को यात्रा पिथौरागढ़ पहुंचेगी। 28 मई को डोली यात्रा गोल्जू महाराज मंदिर चंपावत के लिए प्रस्थान करेगी। 29 मई को यात्रा डोल आश्रम अल्मोड़ा पहुंचेगी। 30 मई को डोली यात्रा सत्यनारायण मंदिर हल्द्वानी पहुंचेगी। 31 मई को यात्रा तारकनाथ मंदिर रूद्रपुर उधमसिंहनगर पहुंचेगी। 1 जून को यात्रा गुरुद्वारा जसपुर पहुंचेगी। 2 जून को यात्रा कोटद्वार पौड़ी पहुंचेगी। 3 जून को यात्रा डा. जैक्सवीन नेशनल स्कूल गुप्तकाशी रूद्रप्रयाग पहुंचेगी। 4 जून को यात्रा बासुदेव मंदिर गंगानगर बांगर रूद्रप्रयाग पहुंचेगी। 5 जून को यात्रा बजीरा लस्या पहुंचेगी। 6 जून को यात्रा शिवदेई मंदिर एवं नागेंद्र देवता मंदिर बजीरा लस्या पहुंचेगी। 7 जून को यात्रा मालगांव हिंदाव के लिए प्रस्थान करेगी। 8 जून को यात्रा विशोन पर्वत विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। 9 जून को 30वें दिन गंगा दशहरा के दिन डोली यात्रा का विश्वनाथ मंदिर में नीलाछाड़ में समापन होगा।
साढ़े दस हजार किलोमीटर की दूरी यह यात्रा तय करेगी। डोली यात्रा संयोजक पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना है कि विश्व शांति और उत्तराखंड में एक हजार धाम स्थापित करना इस यात्रा का मुख्य उददेश्य है। इसके अलावा गांवों में बंजर पड़ी जमीन को आबाद करने, पलायन कर चुके लोगों को गांवों की ओर लौटने के लिए जागरूक करना भी इस यात्रा का उद्देश्य है। संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए भी इस यात्रा के माध्यम से प्रयास किए जाएंगे। जो एक हजार धाम चिन्हित होंगे, उन सभी धामों में संस्कृत विद्यालय व ध्यान केंद्र खोले जाएंगे। 141 स्थानों पर यह यात्रा पहले जा चुकी है, इस बार यात्रा नए स्थानों पर जाएगी। चारधाम के अलावा राज्य में बहुत सारे मंदिर व स्थल हैं जहां लोगों के कष्ट दूर होते हैं, उनको धाम के रूप में विकसित किया जाए। सरकार से अनुरोध रहेगा कि जो 141 स्थान पहले चयनित हो चुके हैं उनको तीर्थाटन सर्किट में रखा जाए और जो अन्य स्थान चिन्हित किए जाएंगे उन्हें भी तीर्थाटन सर्किट में शामिल कर विकसित किया जाए, ताकि यह प्रदेश तीर्थाटन प्रदेश बन सके।
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