देहरादून। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा अपनी सरकार के गठन की तैयारी में जुट गई है तो शासन स्तर पर भी नई सरकार के लिए होमवर्क पूरा कर लिया गया है। नई सरकार के सामने राज्य में कराए गए विकास कार्यों की प्रगति का ब्योरा रखा जाएगा। तकरीबन सभी विभागों ने यह ब्योरा शासन को उपलब्ध करा दिया है।
नए मुखिया के सामने राज्य की वित्तीय स्थिति की तस्वीर भी रखी जाएगी। इस बात की संभावना है शपथग्रहण समारोह के बाद पहली ही कैबिनेट में सरकार समान नागरिक संहिता के संबंध में निर्णय ले। विधि विभाग को इसकी तैयारी करने को कहा गया है। शासन स्तर पर भी यह संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश में 21 मार्च तक नई सरकार का गठन हो जाएगा। 20 या 21 मार्च को मुख्यमंत्री व मंत्रिमंडल शपथ ले सकता है। इसके साथ नई सरकार अस्तित्व में आ जाएगी। शासन स्तर पर नई सरकार के गठन से पहले ही तैयारी शुरू कर दी गई। इस बात की संभावना जताई गई कि मुख्यमंत्री राज्य की प्रगति में योगदान देने वाले विकास कार्यों व अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मांग सकते हैं। इसलिए शासन स्तर ने इसके लिए पहले ही विभागों से ब्योरा तलब कर रिपोर्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी। 2017 में सत्ता की कमान जब त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में आई थी, तो शपथ लेने के बाद सबसे पहले उन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिति की जानकारी ली थी। वित्त विभाग राज्य की वित्तीय स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट तैयार कर ली है। यदि मुख्यमंत्री चाहेंगे तो राज्य की आर्थिक स्थिति के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया जा सकता है। प्रदेश में अस्तित्व में आने वाली भाजपा की नई सरकार को सबसे पहले तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे पहले उसके सामने वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले बजट पेश करने की चुनौती है। माना जा रहा है कि सरकार सीधे बजट लाने के बजाय वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले वचनबद्ध खर्च के लिए लेखानुदान ला सकती है। इसके बाद सरकार अपने चुनाव दृष्टिपत्र के अनुरूप बजट तैयार करेगी। सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती पर्यटन सीजन और चारधाम यात्रा के संचालन की है। कोविड के कारण यात्रा काफी प्रभावित रही है। लेकिन अब स्थितियां काफी बदली हैं। इस लिहाज से चारधाम यात्रा का इस बार ज्यादा दबाव रहेगा। सरकार के सामने तीसरी बड़ी चुनौती छोटे बच्चों के टीकाकरण की है। अन्य अभियानों की तरह इस अभियान को भी सफल बनाने का दबाव नई सरकार पर रहेगा।