देहरादून। पर्वतीय क्षेत्र में उगने वाली गींठी एक बेहद पोष्टिक सब्जी होती है। गींठी या वराह कंद ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। गेंठी में शर्करा (ग्लूकोज) और रेशेदार फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे बढ़ता है।। गेंठी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं,जिनके कारण शरीर मे कोलस्ट्रोल कम बढ़ता है। एयर पोटैटो मोटापा घटाने में लाभदायक है।। इसमे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो त्वचा रोगों की रोकथाम में सहायक होता है।
गेंठी में कॉपर ,लोहा,पोटेशियम ,मैगनीज आदि खनिज ( मिनरल्स ) पाए जाते हैं। जिसमे से पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है और कॉपर रूधिर कणिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है।। वराह कंद या गेठी की पत्तियों और टहनियों के लेप से फोड़े फुंसियों में लाभ मिलता है। गेंठी को उबालकर सलाद या सब्जी रूप में खाने से खांसी व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। गेठी के तनों व पत्तियों के अर्क में घाव भरने की क्षमता होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इसके अर्क में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता भी होती है। जिससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी में लाभ मिलता है। इसके पत्तियों के लेप से सूजन व जलन में लाभ मिलता है। इसकी गांठों में स्टेरॉयड मिलता है जो कि स्टेरोएड हार्माेन और सेक्स हार्माेन बनाने के काम आता है। गेठी बबासीर के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नही है। दस्त के लिए भी यह अति लाभदायक है। इसमे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर रहती है। और कैंसर में तो लाभदायक होता ही है। गेठी जैसे औषधीय कंदमूल फल उत्तराखंड में विलुप्त हो रहे हैं या उनके गुणों और उनके बारे में सही जानकारी ना होने के कारण हम उनका सही प्रयोग नही कर पा रहे हैं।
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