देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने देहरादून पहुंचकर कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में उत्तराखंडी स्वाभिमान प्रतिज्ञा पत्र को जारी किया। कांग्रेस के इस प्रतिज्ञा पत्र में बिजली, पानी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई चुनावी मुद्दे शामिल हैं। कमजोर परिवारों की मदद के लिए और जिन्होंने सबसे ज्यादा कोरोना की मार झेली है, उनके लिए सालाना ₹40,000 की मदद दी जाएगी। स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। ड्रोन के जरिए पहाड़ी इलाकों के गांव-गांव तक दवाएं पहुंचाई जाएंगी। प्रियंका ने कहा कि, इस घोषणा पत्र को प्रतिज्ञा पत्र इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसका मतलब है कि इसमें लिखी एक-एक बात को पूरा किया जाएगा। प्रियंका गांधी ने भगवान केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मां के आह्वान के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि, उनका देवभूमि से बेहद पुराना रिश्ता रहा है। उनके पिता, वो और उनके भाई राहुल और अब उनके बेटे भी यहीं देहरादून के दून स्कूल में पढ़े हैं। वो यहां की आबोहवा से बखूबी वाकिफ हैं। यहां के लोगों से उनका हमेशा से जुड़ाव रहा है, लेकिन आज यहां आकर देवभूमि में जिस तरह की सरकार चल रही है उसे देखकर दुख होता है। लेकिन सबसे बड़ा दुख ये है क्योंकि जिन्होंने बड़े-बड़े वादे किए, प्रदेश ने बड़ी उम्मीदों से देखते हुए जिनका समर्थन किया उन्हीं लोगों ने उस जनता को तोड़ने का काम किया। प्रियंका ने कहा कि, जहां-जहां भी वो जाती हैं वहां ये स्पष्ट होता है कि पिछले 5 सालों में बीजेपी सरकार ने कोई काम नहीं किया, केवल जनता की उम्मीदें तोड़ी गईं, जो पहले कांग्रेस की सरकार में विकास का काम हुआ वही काम आज भी दिखता है। प्रियंका ने कहा कि, चुनाव आता है तो बड़ी-बड़ी घोषणाएं फिर से की जाती हैं। उद्घाटन होने शुरू होते हैं और जो प्रोजेक्ट पिछले 5 साल से शुरू नहीं किए गये उनका उद्घाटन किया जाता है ये बताने के लिए कि बहुत बड़ी-बड़ी चीजें की गई हैं। बीजेपी सरकार ने जितना पैसा अपना काम दिखाने के लिए विज्ञापनों में खर्च किया है, उतना अगर सच में काम करते तो आज ये सवाल नहीं उठते। सच्चाई ये है कि सरकार के पास पैसे हैं, रोजगार के लिए खाली पद भी हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि सरकार की नीयत ही सही नहीं है। अगर ये लोग सच में काम करना चाहते तो कर सकते थे। सच्चाई ये है कि डबल इंजन की सरकार ने वादे तो बड़े किए लेकिन पेट्रोल-डीजल ही इतना महंगा कर दिया कि इनका खुद का इंजन ठप हो गया।
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